पश्चिम एशिया की परिवर्तनशील भू-राजनीति: भारत एवं विश्व के लिए निहितार्थ - डॉ. अमरजीत भार्गव
वर्ष 1942 में 'निकोलस स्पाइकमैन' ने वैश्विक राजनीतिक केंद्र बिंदुओं के संदर्भ में प्रतिपादित 'मैकाइंडर' के 'हार्टलैंड सिद्धांत' (Heartland theory) के प्रत्युत्तर में अपना 'रिमलैंड सिद्धांत' (Rimland Theory) प्रस्तुत किया था। 'हार्टलैंड सिद्धांत' जहां उत्तर-पूर्वी साइबेरियाई क्षेत्र को विश्व राजनीति की धुरी मानता था तो वहीं दूसरी तरफ 'रिमलैंड सिद्धांत' में पश्चिमी तथा मध्य एशियाई क्षेत्र को वैश्विक राजनीति का केंद्र बिंदु माना गया है। दोनों सिद्धांतों का मत है कि जो शक्ति उनके बताए गए 'धुरी स्थल' पर शासन करेगी, उसे ही विश्व की प्रमुख शक्ति का दर्जा प्राप्त होगा। वर्तमान समय में इन सिद्धांतों की प्रासंगिकता को देखते ....
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