स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम न केवल स्वतंत्रता के लिए एक राजनीतिक आंदोलन था बल्कि एक समावेशी आंदोलन भी था, जिसमें समाज के विभिन्न वर्ग शामिल थे। स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास महिलाओं के बलिदान, निस्वार्थता, वीरता की गाथा से भरा हुआ है। उन्होंने सच्ची भावना और निडर साहस के साथ स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए विभिन्न यातनाओं, शोषण और कठिनाइयों का सामना किया।
स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता एवं भूमिका
- प्रारंभिक संघर्षः भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी 1817 की शुरुआत में आरंभ हुई। भीमा बाई होल्कर ने ब्रिटिश कर्नल मैल्कम ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 असहयोग आंदोलन
- 2 रूसी क्रांति: कारण तथा वैश्विक प्रभाव
- 3 औद्योगिक क्रांति का उपनिवेशवाद के प्रसार में योगदान
- 4 11वीं सदी के समाज सुधारक और संत: रामानुजाचार्य
- 5 गाँधी एवं नेहरू के सामाजिक-आर्थिक विचार: समानता एवं विभेद
- 6 ब्रिटिश शासन की नीतियां तथा आधुनिक भारत का निर्माण
- 7 दादा भाई नोरोजी की भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में भूमिका
- 8 स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष चन्द्र बोस की भूमिका
- 9 वेलेजली की नीतियां एवं उनका प्रभाव
- 10 उग्र राष्ट्रवाद तथा स्वतंत्रता आन्दोलन में इसकी भूमिका