आंतरिक सुरक्षा के समक्ष बहुआयामी चुनौतियां
साधारण शब्दों में आंतरिक सुरक्षा से तात्पर्य एक संप्रभु राज्य द्वारा अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर शांति बनाए रखना है। आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस से लेकर अर्धसैनिक बलों और असाधारण परिस्थितियों में स्वयं सेना तक हो सकती है।
- विज्ञान एवं तकनीकी के विकास के साथ ही आंतरिक सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों की प्रवृति अधिक संवेदनशील और जटिल बन गई है। पारंपरिक युद्ध की बजाय अब छदम युद्ध के रूप में आंतरिक सुरक्षा हमारे लिये बड़ी चुनौती बन गई है।
- आंतरिक सुरक्षा के घटक में राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने से ले कर शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 राष्ट्रीय अखंडता का सुदृढ़ीकरण
- 2 आंतरिक सुरक्षा में चुनौती के रूप में सोशल मीडिया
- 3 UAPA की संवैधानिकता तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता
- 4 रक्षा क्षेत्र का स्वदेशीकरण
- 5 साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां एवं उपाय
- 6 संगठित अपराधा और आतंकवाद के बीच गठजोड़
- 7 भारत में व्यक्तिगत डेटा का संरक्षणः मुद्दे, समाधान
- 8 सीमा प्रबंधन में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की भूमिका
- 9 उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर: चुनौती एवं दिशा
- 10 धन शोधन : आन्तरिक सुरक्षा के लिए चुनौती