भारत की ‘जैव-अर्थव्यवस्था’

  • हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, भारत की ‘जैव-अर्थव्यवस्था’ पिछले 8 वर्षों में 8 गुना बढ़कर 10 अरब डॉलर से 80 अरब डॉलर हो गई है। जैव-अर्थव्यवस्था विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य और उत्पाद बनाने के लिए नवीकरणीय जैविक संसाधनों और प्रक्रियाओं के उपयोग को संदर्भित करती है।
  • इसमें जैव-आधारित उत्पादन, जैव प्रौद्योगिकी, सर्कुलर बायोइकोनॉमी आदि से संबन्धित गतिविधियां शामिल हैं। उदाहरण के लिए शैवाल से जैव ईंधन, मकई स्टार्च से बायोप्लास्टिक्स और बैक्टीरिया से एंजाइम का उत्पादन ....
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