रोगाणुरोधी प्रतिरोधः वैश्विक स्वास्थ्य खतरा
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अस्पतालों मेंरोगजनकों में खतरनाक रूप से उच्च प्रतिरोध दर की सूचना मिली है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है, जब जीवाणु, विषाणु, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं तथा उन पर दवाओं का प्रभाव कम या समाप्त हो जाताहै, जिससे संक्रमण का उपचार कठिन हो जाता है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण
- एंटीबायोटिक दवाओं का असमान और अनियमित उपयोग।
- किसान मुर्गियों और अन्य पशुओं के विकास को गति देने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं।
- चिकित्सा तक पहुंच में असमानताएं, अत्यधिक उपयोग और खराब, अस्वच्छ सेवाएं समस्या को जटिल बनाती हैं।
- अधिकांश सूक्ष्मजीव हर कुछ ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली: भारत की क्षमताएं
- 2 कृषि का रूपांतरण: उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका
- 3 अन्य देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष सहयोग: लाभ और उपलब्धियां
- 4 गहरे समुद्र में अन्वेषण: भारत की प्रगति और चुनौतियां
- 5 जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में नैनो प्रौद्योगिकी की भूमिका
- 6 साइबर हमले: भारत के डिजिटलीकरण के लिए चुनौतियां
- 7 जेनेरिक दवाएं: संबंधित मुद्दे और चिंताएं
- 8 दुर्लभ बीमारियां : चुनौतियां एवं भारत की कार्यवाही
- 9 रोगाणुरोधी प्रतिरोध : चुनौतियां और रोकथाम के उपाय
- 10 ब्रेन कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) और इसके नैदानिक अनुप्रयोग