भगवान महावीर की शिक्षाएं: वर्तमान में प्रासंगिकता

महावीर, जिन्हें वर्धमान (Vardhamana) के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। महावीर ने लगभग 30 वर्ष की आयु में तपस्वी बन गए। महावीर ने सम्यक ज्ञान, सम्यक विश्वास और सम्यक आचरण (जैन धर्म के त्रि-रत्न) के माध्यम से कैवल्य (ज्ञान) की प्राप्ति की।

  • सत्य (सच बोलना), अहिंसा (हिंसा न करना), अस्तेय (चोरी न करना), अपरिग्रह (धन का संग्रह न करना) और ब्रह्मचर्य (इंद्रिय निग्रह करना) की शिक्षा जन सामान्य को प्रदान की। इनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाएं आज समाज के विभिन्न समस्याओं के समाधान प्रस्तुत करते हैं।

इनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाओं ....

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