वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य - विद्यमान चुनौतियां तथा व्यापक संभावनाओं के क्षेत्र
एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आमतौर पर अपेक्षाकृत ऊंची आर्थिक विकास दर, बेहतर जीवन स्तर तथा उच्च प्रति व्यक्ति आय का होना आवश्यक है। साथ ही समग्र मानव विकास से संबंधित सामाजिक पूंजी मानकों- शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर भी खरे उतरने की जरूरत होती है। इन सभी मानकों पर वर्तमान में भारत की स्थिति अभी भी बेहतर नहीं कही जा सकती, इसीलिए वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने की राह में भारत के लिए कई चुनौतियां विद्यमान हैं। हालांकि भारत उन संभावनाओं को भी धारित करता है, जिनके माध्यम से वह विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे कदम ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 अमेरिका की नई टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार युद्ध की दस्तक - डॉ. उदय भान सिंह
- 2 पीटलैंड्स का संरक्षण वैश्विक तापमान वृद्धि से निपटने का सतत समाधान - संपादकीय डेस्क
- 3 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम संभावनाएं, चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 4 हिंद महासागर क्षेत्र परिवर्तनशील भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत की आर्थिक एवं रणनीतिक अनिवार्यताएं - आलोक सिंह
- 5 भारत में उच्च शिक्षा सुधार रोज़गार क्षमता और अनुसंधान मानकों में वृद्धि आवश्यक - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 6 भारत में कौशल अंतराल
- 7 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम विनियामक निगरानी : भारत में डिजिटल मीडिया का विनियमन - आलोक सिंह
- 8 असंगठित क्षेत्र में अदृश्य कार्यबल के रूप में महिलाएं - आलोक सिंह
- 9 जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक दक्षिण समतापूर्ण एवं न्यायसंगत वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 10 ग्लोबल स्टार्टअप हब के रूप में भारत का उदय विकास के कारक एवं चुनौतियां - डॉ. अमरजीत कुमार

- 1 भारत में बाढ़ आपदा प्रबंधन : एकीकृत, बहु-आयामी एवं समावेशी रणनीति की आवश्यकता
- 2 तटीय पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण : अनिवार्यताएं एवं निहितार्थ
- 3 हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी : भारत के हित, जुड़ाव एवं निहितार्थ
- 4 भारत में मानसिक स्वास्थ्य : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती
- 5 सुभेद्य वर्गों की औपचारिक वित्त तक पहुंच : आर्थिक सशक्तीकरण हेतु वित्तीय समावेशन आवश्यक