तटीय पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण : अनिवार्यताएं एवं निहितार्थ
संपूर्ण मानव इतिहास में तटीय क्षेत्र अपने विविध संसाधनों एवं पारिस्थितिक सेवाओं के कारण मानवीय गतिविधियों के केंद्र बिंदु रहे हैं। 7516.6 किमी. लंबी भारतीय तट रेखा 9 राज्यों एवं 4 केंद्रशासित प्रदेशों तक विस्तृत है। ऐसे में इसके संरक्षण को लेकर उठाए गए कदमों का अवलोकन करते हुए कैग की हालिया रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसके अनुसार पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) अपर्याप्तता के बावजूद कई तटीय परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गई, जिससे तटीय पारिस्थितिक संरक्षण के समक्ष खतरा उत्पन्न हुआ है। भारतीय तटीय क्षेत्र महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों, उपजाऊ भूमि एवं उच्च विविधता से परिपूर्ण हैं जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में जलवायु अनुकूल कृषि की आवश्यकता : चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 2 भारत में सामाजिक उद्यमिता : उदय, प्रभाव एवं संभावनाएं - महेंद्र चिलकोटी
- 3 ब्रिक्स समूह : बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियां - आलोक सिंह
- 4 बायो -ई3 नीति : बायो- मैन्युफैक्चरिंग में नवाचार और धारणीयता को बढ़ावा - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 5 भारत में खाद्य सुरक्षा विनियमों का सुदृढ़ीकरण - संपादकीय डेस्क
- 6 भारत एवं क्वाड : एक सुरक्षित एवं समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी का विस्तार - आलोक सिंह
- 7 वैश्विक दक्षिण: उभरती चुनौतियां वैश्विक एवं प्रमुख अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 8 भारत-पोलैंड संबंध : रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु 'रणनीतिक साझेदारी' - संपादकीय डेस्क
- 9 सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री : एक विमर्श - आलोक सिंह
- 10 भारत-रूस संबंध: परिवर्तनशील वैश्विक व्यवस्था में साझेदारी का विस्तार - संपादकीय डेस्क
- 1 वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य - विद्यमान चुनौतियां तथा व्यापक संभावनाओं के क्षेत्र
- 2 भारत में बाढ़ आपदा प्रबंधन : एकीकृत, बहु-आयामी एवं समावेशी रणनीति की आवश्यकता
- 3 हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी : भारत के हित, जुड़ाव एवं निहितार्थ
- 4 भारत में मानसिक स्वास्थ्य : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती
- 5 सुभेद्य वर्गों की औपचारिक वित्त तक पहुंच : आर्थिक सशक्तीकरण हेतु वित्तीय समावेशन आवश्यक