राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्तियां

सतीश कुमार कर्ण

राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति निरपेक्ष नहीं होनी चाहिए तथा न्यायपालिका को भी न्यायिक समीक्षा की शक्ति का प्रयोग करने में अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। क्षमादान की शक्ति सीमित न्यायिक समीक्षा के अधीन होनी चाहिए, क्योंकि न्यायिक समीक्षा हमारे संविधान का एक आधारभूत ढांचा है।

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि राज्य सरकारों के पास आपराधिक प्रक्रिया कानूनों के तहत कम से कम 14 साल की जेल की सजा काटने से पहले आजीवन कारावास की सजा पाने वाले अपराधी को रिहा करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, अदालत ....

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