वैश्विक शरणार्थी संकटः समस्या एवं समाधान

डॉ. अरविंद कुमार गुप्ता

"बहुत मजबूर होकर लोग निकलते हैं अपने घर से,

खुशी से कौन अपने मुल्क से बाहर रहा है।"

उपरोक्त पंक्तियां शरणार्थियों के संबंध में इस रूप में बिल्कुल सटीक बैठती हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने मूल स्थान को छोड़कर नई जगह पर अपनी स्वेच्छा से नहीं जाना चाहता, बल्कि परिस्थितियां उसे इसके लिये विवश करती हैं। वर्तमान का शरणार्थी संकट जो शायद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे विकराल संकट है, के कारण आज लगभग 7 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापितों अथवा शरणार्थियों का जीवन जीने को विवश हैं।

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