व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा

- विवेक उपाध्याय

सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करने वाला अहसान अहमद लगातार इस द्वंद्व में रहता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कौन ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब वह अन्नादुरई जैसे वैज्ञानिक के बारे में पढ़ता है जिसे प्रतिष्पर्धी देशों की गुप्तचर संस्थाओं ने सूचना के अधिकार से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर षड्यंत्र का शिकार बना लिया तब उसे राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण लगने लगती है। वहीं जब वह ‘माई नेम इज खान’जैसी फिल्म देखता है जिसमें एक व्यक्ति को मात्र धार्मिक पहचान के आधार पर सुरक्षा संस्थाओं के द्वारा प्रताडि़त किया गया तब ....

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