बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए
- मोनिका मिश्रा
मनुष्य की बौद्धिक शक्ति उसके पास उपलब्ध सबसे मजबूत और उपयोगी शक्तियों में से एक है। यह शक्ति, मनुष्य की कल्पना के साथ मिलकर सफलता अथवा असफलता, खुशी अथवा दुख तथा अवसर अथवा बाधाएं पैदा करती है। इस बौद्धिक शक्ति का विकास सामान्य रूप से ध्यान, मानसिक छवियों एवं विचारों द्वारा होता है। मनुष्य द्वारा दैनिक आधार पर लिए जाने वाले छोटे-छोटे निर्णयों के साथ वैश्विक स्तर पर लिए जाने वाले सभी निर्णय मनुष्य की बौद्धिक क्षमता के परिचायक हैं। स्टर्न ने मनुष्य की बुद्धि को परिभाषित करते हुए कहा है कि ‘बुद्धि व्यक्ति ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प है इसका अर्थ यह कदापि नही की उनमे से कोई एक ठीक होगा ही - डॉ. श्याम सुंदर पाठक
- 2 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 3 क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
- 4 क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
- 5 कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण भारत का रूपांतरण
- 6 सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता
- 7 विकास जैसी गतिशील प्रक्रिया में मानवाधिकार, मूल्यवान मार्गदर्शक हैं
- 8 ओटीटी प्लेटफार्मः विनियमन बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- 9 क्या 21वीं सदी के नेटिज़ेंस के लिए गोपनीयता एक भ्रम है?
- 10 शहरी मध्य वर्ग, भारत के रूपांतरण की कुंजी है