केवल सशक्तीकरण से महिलाओं की समस्याएं हल नहीं की जा सकतीं
दुर्गेश सिंह
भूमंडलीकरण ने विश्व पटल पर जिस आर्थिक, लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों के पैरोकारी विश्व में हर वर्ग समुदाय को अपने सपनों को हकीकत में बदलने का आश्वासन दिया, उसी ने औरतों को दमित शोषित अवस्था से निकलकर ताकतवर होने का एक भाव भी उत्पन्न किया। आज स्त्री घर से बाहर निकलकर ऑफिस जाती हैं वह आत्मविश्वास के साथ कारपोरेट कल्चर के परिधानों में सुसज्जित जब ऑफिस की कुर्सी पर बैठती है तो नारी सशक्तीकरण का आदर्श रूप प्रस्तुत करती है। यह स्त्री एक आई-ए-एस-, आई-पी-एस- अफसर भी हो सकती हैं_ किसी कंपनी की मैनेजिंग सीईओ हो सकती है ....
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