सामाजिक-आर्थिक विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कौशल की भूमिका
विवेक उपाध्याय
- प्रतिष्ठित उद्यमी पुरस्कार की घोषणा होते ही नरेश फ्रलैश-बैक में चला गया। ग्रामीण भारत के दलित जीवन की चुनौतियां और उनका सामना करते हुए आई.आई.टी. में प्रवेश तथा फिर दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी में जॉब और आज उसके ही स्टार्ट-अप प्रयास को राष्ट्रीय प्रोत्साहन_ भावों की अलग-अलग नदियों में डुबो रहे थे। अगर कोई भाव स्थाई था तो वह उसकी विनम्रता थी। विनम्रता उसकी सफलता के प्रति। नरेश ने सभी अवरोधों को पार पाते हुए अच्छी शिक्षा पाई। स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए निरंतर दक्षता बढ़ाने में लगा रहा। यही उसकी सफलता का ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प है इसका अर्थ यह कदापि नही की उनमे से कोई एक ठीक होगा ही - डॉ. श्याम सुंदर पाठक
- 2 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 3 क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
- 4 क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
- 5 कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण भारत का रूपांतरण
- 6 सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता
- 7 विकास जैसी गतिशील प्रक्रिया में मानवाधिकार, मूल्यवान मार्गदर्शक हैं
- 8 ओटीटी प्लेटफार्मः विनियमन बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- 9 क्या 21वीं सदी के नेटिज़ेंस के लिए गोपनीयता एक भ्रम है?
- 10 शहरी मध्य वर्ग, भारत के रूपांतरण की कुंजी है