भावनात्मक बुद्धिमत्ता : नैतिक और समावेशी शासन का प्रेरक
भावनात्मक बुद्धिमत्ता, भावनाओं के अनुशासन की ऐसी योग्यता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं की तथा सामने वालों की भावनाओं को समझकर उनका प्रबंधन करता है। नैतिक शासन एवं समावेशी शासन दोनों ही विधि के शासन पर आधारित सुशासन से आगे बढ़कर मूल्यों पर आधारित व्यवस्था की स्थापना से संबंधित हैं। इसलिए इनकी स्थापना तथा विकास के लिए ऐसे मानव संसाधन की आवश्यकता है, जो संस्कारों तथा मूल्यों के आधार पर शासन को नया स्वरूप प्रदान कर सकें। इसके लिए उनकी स्वयं पर तथा सामने वालों की भावनाओं पर सटीक पहचान होना जरूरी है।
अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित ....
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