ओटीटी प्लेटफार्मः विनियमन बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
विजेता- नवीन चंदन राय (गांधी विहार, दिल्ली)
जैसे पौष्टिक भोजन स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक है वैसे ही गुणवत्तापूर्ण मनोरंजन चैतन्य एवं क्रियाशील मस्तिष्क के लिए आवश्यक है। प्रश्न है कि गुणवत्तापूर्ण मनोरंजन क्या है? इसकी परिभाषा कौन तय करे? दर्शक, निर्माता या सरकार। पुनः एक प्रश्न मनमस्तिष्क में आता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हम मनोरंजन के लिए क्या कुछ भी बना या दिखा सकते हैं, या इसके विनियमन की आवश्यकता है?
इंसान आदिम से आधुनिक बनने का सफर तय करता गया और आचार-व्यवहार, मनोरंजन, ज्ञानार्जन के साधनों में बदलाव आता ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प है इसका अर्थ यह कदापि नही की उनमे से कोई एक ठीक होगा ही - डॉ. श्याम सुंदर पाठक
- 2 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 3 क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
- 4 क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
- 5 कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण भारत का रूपांतरण
- 6 सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता
- 7 विकास जैसी गतिशील प्रक्रिया में मानवाधिकार, मूल्यवान मार्गदर्शक हैं
- 8 क्या 21वीं सदी के नेटिज़ेंस के लिए गोपनीयता एक भ्रम है?
- 9 शहरी मध्य वर्ग, भारत के रूपांतरण की कुंजी है
- 10 सद्भावना ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है जिसे प्रतिस्पर्धा कम या नष्ट नहीं कर सकती