प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद : स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का प्रतिमान- (महेन्द्र चिलकोटी)

प्रतिस्पर्धा के विचार ने विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति में सदैव ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तुलनात्मक तथा प्रतिस्पर्धी मॉडल ने विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय स्तर पर प्रेरक कारक के रूप में कार्य किया है। भारत के संघवाद के विकासक्रम में प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद ने राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता का शुभारंभ किया है।

  • भारत सरकार ने विकासात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद के सिद्धांत को सर्वाधिक महत्व दिया है। केंद्र सरकार इस संदर्भ में केवल प्रतिस्पर्धात्मक शब्द का इस्तेमाल ना कर इस नए प्रतिमान को 'प्रतिस्पर्धात्मक सहकारी संघवाद' (Competitive Cooperative Federalism) का सिद्धांत मानती है। इसके ....
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