हरित हाइड्रोजन नीति : शुद्ध शून्य उत्सर्जन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर हरित हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया तथा यूएई जैसे विश्व के अनेक देशों ने अपने देश में हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत नीतियों का निर्माण किया है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं में वृद्धि को देखते हुए हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया नीति के पहले चरण से संबंधित जारी किए गए दिशानिर्देश देश में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने में मददगार होंगे। देश में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में वृद्धि हेतु यह आवश्यक है कि हाइड्रोजन विशिष्ट अवसंरचना का निर्माण किया जाए तथा इसके ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में जलवायु अनुकूल कृषि की आवश्यकता : चुनौतियां एवं समाधान - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 2 भारत में सामाजिक उद्यमिता : उदय, प्रभाव एवं संभावनाएं - महेंद्र चिलकोटी
- 3 ब्रिक्स समूह : बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए अवसर एवं चुनौतियां - आलोक सिंह
- 4 बायो -ई3 नीति : बायो- मैन्युफैक्चरिंग में नवाचार और धारणीयता को बढ़ावा - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 5 भारत में खाद्य सुरक्षा विनियमों का सुदृढ़ीकरण - संपादकीय डेस्क
- 6 भारत एवं क्वाड : एक सुरक्षित एवं समृद्ध विश्व के लिए साझेदारी का विस्तार - आलोक सिंह
- 7 वैश्विक दक्षिण: उभरती चुनौतियां वैश्विक एवं प्रमुख अनिवार्यताएं - डॉ. अमरजीत भार्गव
- 8 भारत-पोलैंड संबंध : रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में सहयोग हेतु 'रणनीतिक साझेदारी' - संपादकीय डेस्क
- 9 सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री : एक विमर्श - आलोक सिंह
- 10 भारत-रूस संबंध: परिवर्तनशील वैश्विक व्यवस्था में साझेदारी का विस्तार - संपादकीय डेस्क
- 1 भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी : अनुप्रयोग, महत्व एवं चुनौतियां- (डॉ. अमरजीत भार्गव)
- 2 भारत-यूएई संबंध : आर्थिक साझेदारी का एक नया पड़ाव- (सतीश कुमार कर्ण)
- 3 रेडियोधर्मी प्रदूषण : कारण, प्रभाव एवं समाधान
- 4 मेटावर्स : इंटरनेट और डिजिटल दुनिया का भविष्य
- 5 इंडस्ट्री 4.0 : भारत की तैयारी, अंगीकरण एवं चुनौतियां
- 6 प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद : स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का प्रतिमान- (महेन्द्र चिलकोटी)