जीवन की जीवंतता, संघर्ष की पटकथा - डॉ. श्याम सुन्दर पाठक ‘अनन्त’

जीवन एक पहेली की तरह है, जिसका हल इससे बचने में नहीं, बल्कि इससे लड़कर ही निकाला जा सकता है। जिस प्रकार एक जहाज, बन्दरगाह के भीतर सुरक्षित तो होता है, परन्तु उसका उद्देश्य वह नहीं होता, उसी प्रकार जीवन भी एक जहाज की ही तरह है, इसमें संघर्ष करते हुए आगे बढ़ना एवं अपने लक्ष्य को प्राप्त करना आवश्यक है।

  • अस्तित्ववादी दार्शनिक ‘सार्त्र’ के अनुसार "प्रत्येक व्यक्ति, अपने निर्णय का ही प्रतिफल है"। यानी व्यक्ति द्वारा लिए गए निर्णय ही उसका भविष्य निर्धारित करते हैं। प्रत्येक निर्णय अपने साथ कुछ चुनौतियां लेकर आता है। परन्तु, हम किसी चुनौती से सिर्फ ....
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