ओडिशा
ओडिशा में कुष्ठ रोगियों की स्थिति का आकलन करने हेतु पैनल की नियुक्ति
- ओडिशा द्वारा खुद को कुष्ठ मुक्त राज्य घोषित करने के पंद्रह साल बाद, ओडिशा उच्च न्यायालय ने कुष्ठ रोगियों की निर्वाह स्थिति (living condition) और कुष्ठ कॉलोनियों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का आकलन करने के लिए तीन सदस्यीय अधिवक्ता समिति नियुक्त की है।
- समिति में वरिष्ठ अधिवक्ता बिभु प्रसाद त्रिपाठी, गौतम मिश्रा और पामी रथ शामिल हैं।
- 2006-2007 में, ओडिशा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार ‘कुष्ठ मुक्त’ घोषित किया गया था।
- WHO के अनुसार, प्रति 10,000 आबादी पर 1 मामले की रिपोर्ट करने वाले क्षेत्रें को ‘कुष्ठ मुक्त’ कहा जा सकता है।
ओडिशा में बाल विवाह की रोकथाम में तेज वृद्धि
- जागरूकता बढ़ने और फील्ड स्तर के कर्मचारियों के बीच बेहतर समन्वय के बाद ओडिशा में पिछले चार वर्षों में बाल विवाह रोकथाम की संख्या में तेज वृद्धि देखी गई है।
- 2017 में, समुदाय, गैर सरकारी संगठनों और फील्ड स्तर के अधिकारियों के अंतिम समय में हस्तक्षेप के बाद 324 बाल विवाह रोक दिए गए थे, वहीं 2018 में, यह संख्या मामूली रूप से बढ़कर 411 हो गई थी।
- हालाँकि, पिछले दो वर्षों में शादियों को रोकने में भारी उछाल देखा गया। 2019 में 657 बाल विवाह रोके गए, वहीं 2020 में 1,108 बाल विवाह रोके गए। चालू वर्ष के पहले पांच महीनों में भी, 726 ऐसे विवाहों को रोका गया।
- बाल विवाह को समाप्त करने के लिए ओडिशा रणनीतिक कार्य योजनाय् के अनुसार, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में लड़कियों के बीच बाल विवाह का प्रसार 21.3% था (राष्ट्रीय औसत 26.8%), जबकि लड़कों के लिए यह केवल 11% (राष्ट्रीय औसत 20.3%) था।