भारत के 46 रामसर स्थल

वर्ष 2021 के नवीनतम आंकड़ों पर आधारित

आर्द्रभूमि

  • आर्द्रभूमि को जलीय एवं स्थलीय क्षेत्र के बीच संक्रमण के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें बड़े पैमाने पर जीव-जंतु एवं पेड़-पौधे स्थायी रूप से निवास करते है।
  • आर्द्रभूमि सबसे विविध और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं। वे आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं और हमारे सभी ताजे पानी की आपूर्ति करते हैं।

रामसर कन्वेंशन

  • आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों के संरक्षण तथा विवेकपूर्ण उपयोग के लिए 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर शहर में सम्मेलन में ‘रामसर कन्वेंशन’ (Ramsar Convention) को अपनाया गया था, इसके बाद इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • ‘रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि की व्यापक परिभाषा का उपयोग करता है। इसमें सभी झीलें और नदियाँ, भूमिगत जलभृत (aquifers), दलदल, नम घास के मैदान, पीटलैंड (peatlands), एश्चुअरी, डेल्टा और ज्वारीय गाद स्थल (tidal flats), मैंग्रोव और अन्य तटीय क्षेत्र, प्रवाल भित्तियाँ और सभी मानव निर्मित स्थल जैसे- मछली तालाब, जलाशय और साल्ट पैन (नमक क्षेत्र) आदि को शामिल किया जाता है।
  • आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र द्वारा औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त एक अंतर सरकारी संधि है, जो कि संयुक्त राष्ट्र के साथ पंजीकृत है।
  • रामसर कन्वेंशन के सचिवालय का प्रशासन और मेजबानी IUCN द्वारा की जाती है।
  • रामसर कन्वेशन को 1975 में लागू किया गया।
  • कन्वेंशन के ‘तीन स्तंभों’ के तहत, पक्षकार प्रतिबद्धता करते हैं-सभी आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में कार्य करना; अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि (‘रामसर सूची’) के लिए उपयुक्त आर्द्रभूमि को नामित करना और उनका प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करना; सीमापारिक (transboundary) आर्द्रभूमियों, साझा आर्द्रभूमियों और साझा प्रजातियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना।
  • वर्तमान में 175 देश इस कन्वेंशन के पक्षकार (Contracting Parties) हैं।
  • विश्व में सर्वाधिक आर्द्रभूमि रामसर स्थल यूनाइटेड किंगडम (UK) में हैं, जिनकी संख्या 175 है। इसके बाद मैक्सिको में 142 हैं।
  • विश्व का पहला रामसर स्थल ऑस्ट्रेलिया का कोबोर्ग प्रायद्वीप (Cobourg Peninsula) प्रायद्वीप है, जिसे 1974 में शामिल किया गया था।
  • कन्वेंशन संरक्षण के तहत विश्व में सर्वाधिक क्षेत्रफल में फैला आर्द्रभूमि क्षेत्र बोलिविया में है, जिसका क्षेत्रफल 148,000 वर्ग किलोमीटर है।
  • विश्व आर्द्रभूमि (वेटलैंड) दिवस पहली बार 1997 में मनाया गया था।
  • 2 फरवरी, 2021 को 25वां विश्व वेटलैंड दिवस मनाया गया, जो ‘रामसर कन्वेंशन’ की 50वीं वर्षगांठ थी। इस वर्ष इसका विषय (थीम) था- ‘वेटलैंड एवं वाटर’ (WETLANDS AND WATER)।
  • विश्व में कुल लगभग 2430 रामसर स्थल हैं, जबकि भारत में कुल 46 रामसर स्थल हैं (सितंबर 2021 तक)।

रामसर कन्वेंशन और भारत

  • रामसर कन्वेंशन में भारत 1 फरवरी, 1982 को पहली बार शामिल हुआ। भारत में रामसर स्थल के तहत कुल क्षेत्रफल 1,083,322 हेक्टेयर है।
  • भारत का पहला रामसर स्थल चिल्का झील (ओडिशा) तथा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) था, जिसे 1981 में शामिल किया गया था।
  • भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल चिल्का झील है, जिसका क्षेत्रफल 116500 हेक्टेयर है, जबकि सबसे छोटा रामसर स्थल रेणुका झील (हिमाचल प्रदेश) है, जिसका क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर है।
  • भारत में उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आठ रामसर स्थल हैं, इसके पश्चात पंजाब का स्थान है, जहां छः रामसर स्थल हैं।
  • भारत के नवीनतम चार रामसर स्थल, जिन्हें 2021 में रामसर स्थल का दर्जा दिया गया वे हैं- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (हरियाणा), भिंडवास वन्यजीव अभयारण्य (हरियाणा), थोल झील वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात) तथा वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्र (गुजरात)।

मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड

  • मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमियों की सूची में उन आर्द्रभूमि स्थलों का एक रजिस्टर है, जिनकी स्थिति अत्यंत खराब हो गई हो या खराब हो रही हो या खराब होने की सम्भावना हो तथा जिन्हें संरक्षण करने की अधिक आवश्यकता हो।
  • भारत में पहले चिल्का झील (1993 में) को इस रिकॉर्ड के अंतर्गत शामिल किया गया था किन्तु बाद में इसे हटा दिया गया।
  • वर्तमान में भारत के दो स्थल मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल हैं- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) तथा लोकतक झील (केबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान) (मणिपुर)।

मानचित्र अध्ययन