तापमान में बढ़ोतरी से पीछे खिसकता पेनसिलुंगपा ग्लेशियर
- ‘रीजनल एनवॉयरेन्मेंट चेंज’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार लद्दाख के जांस्कर में स्थित ‘पेनसिलुंगपा ग्लेशियर’ (Pensilungpa Glacier) तापमान में बढ़ोतरी और सर्दियों में कम बर्फबारी होने के कारण पीछे खिसक रहा है।
- महत्वपूर्ण तथ्यः वर्ष 2015 से भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, देहरादून हिमनदों (ग्लेशियर्स) पर अध्ययन कर रहा है।
- इसके तहत ग्लेशियरों में बर्फ के जमाव की स्थिति की निगरानी, बर्फ पिघलने की स्थिति, पहले की जलवायु परिस्थितियों, भावी जलवायु परिवर्तन की स्थिति और इस क्षेत्र के ग्लेशियरों पर पड़ने वाले प्रभावों पर अध्ययन किया जाता है।
- चार वर्षों (2015-2019) के दौरान जांस्कर घाटी का यह ग्लेशियर 6.7a3Z मीटर/प्रतिवर्ष की औसत दर से पीछे िखसक रहा है। अध्ययन के अनुसार बर्फ के जमाव के ऊपर मलबा जमा होने के कारण गर्मियों में ग्लेशियर का एक सिरा पीछे खिसक जाता है। इसके अलावा पिछले तीन वर्षों (2016-2019) के दौरान बर्फ के जमाव में नकारात्मक रुझान नजर आया है और बहुत छोटे से हिस्से में ही बर्फ जमी है।
- अध्ययन के अनुसार हवा के तापमान में लगातार बढ़ोतरी होने के कारण बर्फ पिघलने में तेजी आयेगी। संभावना है कि गर्मियों की अवधि बढ़ने के कारण ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी की जगह बारिश होने लगेगी, जिसके कारण सर्दी-गर्मी के मौसम का मिजाज भी बदल जायेगा।
इन्हें भी जानें किलाऊआ ज्वालामुखी हाल के दिनों में हवाई में किलाऊआ ज्वालामुखी (Kilauea volcano) के शिखर पर जमीन गड़गड़ाहट कर रही है, जिससे वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ज्वालामुखी एक बार फिर लावा का उद्गार कर सकता है। यह किलाऊआ ज्वालामुखी, बड़े हवाई द्वीप पर ‘हवाई ज्वालामुखी राष्ट्रीय उद्यान’ (Hwaaii Volcanoes National Park) के भीतर एक निर्जन क्षेत्र है। यह होनोलूलू से लगभग 200 मील दक्षिण-पूर्व में है, जो ‘ओहू’ (Oahu) नामक एक अलग द्वीप पर है। दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी में से एक किलऊआ, ने अतीत में बिना किसी मैग्मा के सतह को तोड़े बिना इसी तरह का व्यवहार किया है। आखिरी बार इसके काल्डेरा या क्रेटर के दक्षिणी भाग में 1974 में विस्फोट हुआ था। 1952 से अब तक 34 बार किलाऊआ में विस्फोट हुआ है। 1983 से 2018 तक, यह लगभग लगातार विस्फोट करता रहा। |
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