निधन
दिलीप कुमार
हिन्दी फिल्मों के महान अभिनेता दिलीप कुमार का 7 जुलाई, 2021 को मुम्बई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे।
- दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसम्बर, 1922 को पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘मोहम्मद युसूफ खान’ था।
- दिलीप कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से की थी, लेकिन उनकी पहली हिट फिल्म 1947 में रिलीज हुई ‘जुगनू’ थी।
- उन्होंने ‘मेला’, ‘शहीद’, ‘अंदाज’, ‘आन’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’, ‘मधुमति’, ‘यहूदी’, ‘पैगाम’, ‘मुगल-ए-आजम’, ‘गंगा-जमुना’, ‘लीडर’ तथा ‘राम और श्याम’ जैसी फिल्मों में भी काम किया था।
- 1998 में बनी फिल्म ‘किला’ उनकी आिखरी फिल्म थी।
- दुखद कथानक वाली फिल्मों में उनकी दिल दहला देने वाली, लेकिन पुरस्कार विजेता भूमिकाओं के कारण उन्हें ‘ट्रेजेडी किंग’ (Tragedy King) के नाम से जाना जाता है।
- उन्हें आठ बार फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है, जोकि एक कीर्तिमान है।
- भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें 2015 में पप्र विभूषण, 1991 में पप्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- कुमार को 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। पाकिस्तान सरकार ने कुमार को 1998 में पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से सम्मानित किया था।
स्टीवन वेनबर्ग
पिछले पांच दशकों से सबसे प्रभावशाली एवं विख्यात कण भौतिक विज्ञानी (particle physicist), प्रो. स्टीवन वेनबर्ग का 23 जुलाई, 2021 को ऑस्टिन, टेक्सास में निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे।
- स्टीवन वेनबर्ग ने 1979 में हार्वर्ड, यू. एस. ए. के ‘शेल्डन ली ग्लासो’ और इंपीरियल कॉलेज, लंदन, ब्रिटेन के ‘अब्दस सलाम’ के साथ ‘प्राथमिक कणों के बीच कमजोर और विद्युतचुंबकीय अंतः क्रियाओं के एकीकृत सिद्धांत’ (Unified Theory fo Weka and Electromagnetic Interactions between elementary particles) की खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीता था।
- स्टीवन ‘थ्योरी रिसर्च ग्रुप’ (Theory Research Group) के निदेशक और टेक्सास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे।
- प्राथमिक कण भौतिकी (elementary particle physics) और ब्रह्मांड विज्ञान पर उनके उत्कृष्ट शोध के लिए उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार, विज्ञान का राष्ट्रीय पदक और अमेरिकन फिलॉसॉफिकल सोसाइटी द्वारा बेंजामिन फ्रैंकलिन मेडल, ओपेनहाइमर पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
जयंती
प्रसिद्ध अभिनेत्री जयंती का 26 जुलाई, 2021 को बेंगलुरू में निधन हो गया। वे 76 वर्ष की थीं।
- 1963 में अपने अभिनय करियर की शुरुआत करते हुए, जयंती के नाम कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम और हिंदी में 500 से अधिक फिल्में हैं।
- ‘अभिनय शारदे’ या ‘अभिनय की देवी’ के रूप में जानी जाने वाली जयंती ने सुपरस्टार डॉ. राज कुमार, एन टी रामाराव, शिवाजी गणेशन, एमजी रामचंद्रन, रजनीकांत और शम्मी कपूर के नेतृत्व वाली फिल्मों में मुख्य किरदार निभाया।
- कन्नड़ फिल्म निर्देशक पुत्तन्ना कनागल की ‘नागरहावु’ फिल्म में उन्होंने अपने छोटे से किरदार से लोगों का दिल जीत लिया था।
- जयंती ने सात बार कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार और दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। उन्हें डॉ. राजकुमार लाइफटाइम अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
सुरेखा सीकरी
तीन बार की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री सुरेखा सीकरी का 16 जुलाई, 2021 को दिल का दौरा पड़ने से मुंबई में निधन हो गया। वे 75 वर्ष की थी।
- अनुभवी अभिनेत्री ने अपने पूरे करियर में थिएटर, फिल्मों और टेलीविजन में काम किया था। सुरेखा सीकरी ने 1978 में राजनीतिक ड्रामा फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ के साथ शुरुआत की थी।
- उन्होंने ‘तमस’ (1988), ‘मम्मो’ (1994) और ‘बधाई हो’ (2018) के लिए तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था।
- उन्होंने टीवी धारावाहिक ‘बालिका वधू’ में निभाए उनके ‘दादी सा’ के किरदार से भी काफी लोक्रपियता हासिल की थी।
- सुरेखा ने 1971 में राष्ट्रीय नाटड्ढ विद्यालय (NSD) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1989 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
सतीश कालसेकर
प्रख्यात मराठी कवि सतीश कालसेकर का 23 जुलाई, 2021 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के पेण टाउन में उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे।
- कालसेकर को उनके निबंधों के संग्रह ‘वाचनार्याची रोजनिशि’ के लिए 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- वे ज्यादातर एक कवि के रूप में अपने काम के लिए जाने जाते थे। उनके लोकप्रिय कविता संग्रह ‘इंद्रियोपनिषद’, ‘साक्षात’ और ‘विलम्बित’ हैं।
- उन्होंने साहित्य के कई रूपों में धाराप्रवाह काम किया और कविता, अनुवाद, गद्य लेखन और संपादन के क्षेत्र में योगदान दिया।
दानिश सिद्दीकी
16 जुलाई, 2021 को भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी का निधन हो गया। वे 38 वर्ष के थे।
- वे पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान की सीमा के पास कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्ष को कवर करते हुए मारे गए।
- वे भारत में रॉयटर्स (Reuters) समाचार एजेंसी के मुख्य फोटोग्राफर थे।
- दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व छात्र, सिद्दीकी 2010 से रॉयटर्स के साथ काम कर रहे थे।
- वे रॉयटर्स फोटोग्राफी की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर रिपोर्टिंग हेतु ‘फीचर फोटोग्राफी के लिए 2018 का पुलित्जर पुरस्कार’ जीता था।
गीरा साराभाई
अहमदाबाद स्थित प्रसिद्ध राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (National Institute of Design -NID) की सह-संस्थापक और भारत में डिजाइन शिक्षा में अग्रणी भूमिका निभाने वाली गीरा साराभाई का 15 जुलाई, 2021 को अहमदाबाद में निधन हो गया। वे 97 वर्ष की थीं।
- अपने भाई गौतम साराभाई के साथ, उन्होंने NID की स्थापना की और इसका शैक्षणिक पाठ्यक्रम भी तैयार किया।
- NID के अलावा, भारत के सबसे प्रसिद्ध निजी संग्रहालयों में से एक कैलिको संग्रहालय (Calico Museum) की स्थापना में भी गीरा और गौतम दोनों शामिल थे। कैलिको उनके पिता अंबालाल साराभाई द्वारा संचालित कपड़ा मिलों में से एक थी।
राष्ट्रीय डिजाइन संस्थानः NID को 1961 में अहमदाबाद में राष्ट्रीय औद्योगिक डिजाइन संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था और तब से डिजाइन शिक्षा, अभ्यास और अनुसंधान के लिए एक केंद्र रहा है। इसके दो अन्य परिसर गांधीनगर और बेंगलुरू में हैं।
- NID अहमदाबाद वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में एक स्वायत्त संस्थान है। राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान अधिनियम 2014 के तहत इसे ‘राष्ट्रीय महत्व का संस्थान’ घोषित किया गया है।
- वर्तमान में अन्य राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान हरियाणा (कुरुक्षेत्र), आंध्र प्रदेश, असम (जोरहाट) और मध्य प्रदेश (भोपाल) में हैं।
वीरभद्र सिंह
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद 7 जुलाई, 2021 को शिमला में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे।
- नौ बार के विधायक और पांच बार के सांसद, सिंह छः बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
- सिंह ने 1983 से 1990 तक, 1993 से 1998 तक, 2003 से 2007 तक और 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। सिंह मार्च 1998 से मार्च 2003 तक विधान सभा में विपक्ष के नेता भी रहे।
- वे पहली बार 1962 में लोक सभा के लिए चुने गए थे उन्होंने 1982-1983 में उद्योग राज्य मंत्री; 2009-2011 से केंद्रीय इस्पात मंत्री; और 2011-2012 तक केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री के रूप में कार्य किया।
- वे 1977, 1979, 1980 और 2012 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे।
जीके फ़ैक्ट
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पी.के. वारियर
दुनिया भर में प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक पी-के- वारियर का 10 जुलाई, 2021 को आर्य वैद्य शाला, कोट्टक्कल केरल में निधन हो गया। वे 100 वर्ष के थे।
- वे कोट्टक्कल आर्य वैद्य शाला के मुख्य चिकित्सक और प्रबंध न्यासी थे, जो देश की प्रमुख आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सेवा श्रृंखलाओं में से एक है।
- 1954 से आर्य वैद्य शाला के प्रबंध न्यासी, डॉ. वारियर ने सदियों पुरानी संस्था को गौरव और प्रसिद्धि की ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सात दशक लंबी सेवा ने उन्हें कोट्टक्कल आयुर्वेद का पर्याय बना दिया है।
- ‘स्मृतिपर्वम’ नामक उनकी पुस्तक ने 2009 में सर्वश्रेष्ठ आत्मकथा के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता। इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘द कैंटो ऑफ मेमोरीज’ (The Canto of Memories) भी बेहद लोकप्रिय था।
- वे दो बार अखिल भारतीय आयुर्वेदिक कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
- आयुर्वेद में उनके योगदान के लिए उन्हें 1999 में पप्र श्री और 2010 में प्द्हम भूषण से सम्मानित किया गया था। कालीकट विश्वविद्यालय ने उन्हें 1999 में डी लिट की उपाधि से सम्मानित किया था।