पशु रोग मुक्त क्षेत्रों के निर्माण

27 मार्च, 2022 को केंद्र सरकार ने पशुधन से संबंधित हितधारकों से आह्वान किया है कि वे देश में क्षेत्र-विशिष्ट ‘पशु रोग मुक्त क्षेत्रों’ (Animal disease free areas) के निर्माण की दिशा में कार्य करें, जिससे मूल्यवर्द्धित मांस उत्पादों (value added meat products) के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

  • जब किसी क्षेत्र विशेष में किसी विशिष्ट बीमारी से सुरक्षित तथा उपयुक्त स्वास्थ्य सुविधाओं से परिपूर्ण पशु जनसंख्या उपलब्ध होती है तो उस क्षेत्र को ‘पशु रोग-मुक्त क्षेत्र’ कहा जाता है।
  • आवश्यकता एवं महत्व:
    • पशुपालन को मिश्रित कृषि अर्थव्यवस्था (Mixed farming economy) का एक अभिन्न अंग माना जाता है।
    • भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुपालन संबंधी कार्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
    • पशुओं के पालन से विपरीत परिस्थितियों में किसानों को जीविका के अतिरिक्त साधन प्राप्त होने के साथ उनकी खाद्य आवश्यकताओं को भी पूरा करने में मदद मिलती है।
    • भारत में सामान्य रूप से पशुपालन कार्य कृषि गतिविधियों (जैसे नगदी फसलों को उगाना) के पूरक कार्यों के रूप में किए जाते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष भर भूमि एवं श्रम संबंधी मांगों (Demand of the Labour) को पूरा करने में मदद मिलती है।
    • पशुपालन गतिविधियों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Animal Health Organization) ने कुछ दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इनके अनुसार पशु व्यापार में वृद्धि के लिए गोजातीय पशु रोगों के प्रगतिशील नियंत्रण एवं उन्मूलन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।