केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशा-निर्देश-2022

केंद्र सरकार ने 7 फरवरी, 2022 को केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशा-निर्देश-2022 (Central Media Accreditation Guidelines- 2022) जारी किया।

  • इसके अनुसार यदि कोई पत्रकार देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों तथा सार्वजनिक व्यवस्था के संबंध में प्रतिकूल तरीके से कार्य करता है या गंभीर संज्ञेय अपराध करता है, तो उसकी मान्यता वापस ले ली जाएगी या निलंबित कर दी जाएगी।
  • यह मान्यता पत्रकारों को सरकारी कार्यालयों और आयोजनों में शामिल होने की अनुमति देती है।

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022: अप्रैल 2022 में संसद में पारित होने के बाद आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 लागू हुआ है। इसका उद्देश्य-यह एक औपनिवेशिक युग के कानून, कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की जगह लाया गया है।

  • पुलिस अधिकारियों को आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए, गिरफ्रतार किये गए या मुकदमे का सामना करने वाले लोगों की पहचान करने के लिये अधिकृत करता है।
  • यह पुलिस को अपराधियों के साथ-साथ अपराधों के आरोपियों के शारीरिक और जैविक नमूने लेने के लिये कानूनी मंजूरी प्रदान करता है।

आईटी एक्ट की धारा 66A: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66A ने किसी भी व्यक्ति के लिये कंप्यूटर या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग करके आपत्तिजनक जानकारी भेजना एक दंडनीय अपराध बना दिया है। इस प्रावधान ने किसी व्यक्ति के लिये ऐसी जानकारी भेजना दंडनीय बना दिया, जिसे वे निषेध मानते थे।

  • धारा 66A संविधान के अनुच्छेद 19 (भाषण की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) दोनों के विपरीत थी।
  • सूचना का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) द्वारा प्रदान किये गए भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार के अंतर्गत आता है।
  • सोशल मीडिया संदेश ‘असामाजिक’ या ‘बेहद आक्रामक’ होने पर धारा 66A के तहत तीन साल की कैद निर्धारित की गई थी।

संविधान के पहले संशोधन अधिनियम, 1951: इस संशोधन के द्वारा लोक व्यवस्था शब्दावली को राज्य की सुरक्षा के उद्देश्य से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर निबंधन लगाने वाले एक आधार के रूप में अनुच्छेद 19(2) में शामिल किया गया, संविधान में इसे परिभाषित नहीं किया गया है।

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के जरिये इस त्रिभुज के संरक्षण के लिए न्यायालय ने श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ, 2015 मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए को असंवैधानिक घोषित किया था।
  • उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया था कि धारा 66ए पूरी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

धारा 124A IPC: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A के तहत राजद्रोह एक अपराध है। राजद्रोह के अंतर्गत भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति मौखिक, लिखित (शब्दों द्वारा), संकेतों या दृश्य रूप में घृणा या अवमानना या उत्तेजना पैदा करने के प्रयत्न को शामिल किया जाता है। धारा 124A राष्ट्र विरोधी, अलगाववादी और आतंकवादी तत्त्वों से निपटने में उपयोगी है।

विशेष विवाह अधिनियम 1954: इसका उद्देश्य अंतर-धार्मिक विवाह से जुड़े मुद्दों को संबोधित करना और सभी धार्मिक औपचारिकताओं के बिना विवाह को एक धर्मनिरपेक्ष संस्था के रूप में स्थापित करना था।