संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन

यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है। यह समझौता जून, 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था। विभिन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च, 1994 को इसे लागू किया गया।

  • वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है।
  • इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया।
  • क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।
  • UNFCCC की वाषिर्क बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (COP) के नाम से जाना जाता है।

पेरिस समझौता

  • पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। वर्ष 2015 में 30 नवंबर से लेकर 11 दिसंबर तक 195 देशों की सरकारों के प्रतिनिधियों ने पेरिस में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये संभावित नए वैश्विक समझौते पर चर्चा की।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के साथ संपन्न पेरिस समझौते को ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिये एक ऐतिहासिक समझौते के रूप में मान्यता प्राप्त है।


भारत की राष्ट्रीय REDD+ रणनीति

  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए भारत की राष्ट्रीय REDD+ (Reducing Emissions from Deforestation and forest degradation) ‘वनोन्मूलन एवं वन ह्रास से उत्सर्जन में कमी’ रणनीति जारी की गई।
  • REDD+ में वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले समस्त पेड़ों तथा वन क्षेत्र से बाहर कृषिवानिकी, शहरी-वानिकी (Urban Forestry) को भी कवर करने की योजना बनाई गई।
  • भारत को 14 प्राकृतिक भौगोलिक क्षेत्रों- पश्चिमी-हिमालय, पूर्वी-हिमालय, उत्तर-पूर्व, उत्तरी-मैदान, पूर्वी-मैदान, पश्चिमी-मैदान, मध्य उच्च-भूमि, उत्तरी-दक्कन, पूर्वी-दक्कन, दक्षिणी-दक्कन, पश्चिमी-घाट, पूर्वी-घाट, पश्चिमी-तट तथा पूर्वी-तट में विभाजित किया गया है।