प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार से सम्बन्धित संशोधित दिशानिर्देश

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उद्यमिता (entrepreneurship) और नवीकरणीय संसाधनों (renewable resources) को सम्मिलित करने के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (च्ैस्) से सम्बन्धित दिशा निर्देशों को संशोधित किया है।

संशोधित दिशानिर्देश

इसके तहत स्टार्टअप को 50 करोड़ रूपए तक का बैंक ऋण प्रदान करना। ग्रिड से जुड़े कृषि पम्पों के सोलराइजेसन हेतु सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसानों को ऋण प्रदान किया जायेगा।

  • कंप्रेस्डड बायो गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए भी ऋण प्रदान किया जायेगा। छोटे और सीमांत किसानों (Small and Marginal Farmers) तथा ‘कमजोर वर्गों’ के लिये निर्धारित लक्ष्यों को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जा रहा है।
  • आरबीआई द्वारा 1 हेक्टेयर तक की भूमि वाले किसानों को सीमांत किसान (Marginal Farmers) तथा 1 हेक्टेयर से अधिक और 2 हेक्टेयर से कम की भूमि वाले किसानों को छोटे किसानों (Small Farmers) के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • रिजर्व बैंक द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के प्रावधानों में हालिया संशोधन के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा के लिये ऋण सीमा को बढ़ा कर दोगुना कर दिया गया है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण की उपलब्धता के आधार पर जिलों की सूची तैयार की जाएगी।

लाभ

  • आरबीआई द्वारा इसमें सुधारों की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 23% की गिरावट आई है।
  • आरबीआई के तहत अलग-अलग क्षेत्रों के लिये ब्याज की दर भिन्न होती है, परंतु सामान्य ऋण की तुलना में यह अधिक सस्ता और सुलभ माना जाता है।
  • संशोधन के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों तथा कमजोर वर्गों के लिये ऋण की उपलब्धता बढ़ेगी, साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े बुनियादी ढांचे के लिये ऋण को बढ़ावा दिया जा सकेगा तथा ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी। वर्तमान में COVID-19 के दौरान स्वास्थ्य चुनौतियों को देखते हुए स्वास्थ्य अवसंरचना पर ऋण सीमा को बढ़ाए जाने से देश में प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य तंत्र को मजबूती प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी।

प्राथमिकता वाले क्षेत्र

  • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र की सूचि में वर्तमान में 8 क्षेत्र कृषि, ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ’, निर्यात ऋण, शिक्षा, आवास, सामाजिक अवसंरचना, नवीकरणीय ऊर्जा, अन्य शामिल हैं।
  • आरबीआई के प्रावधानों के अनुसार, सभी व्यावसायिक बैंकों (स्थानीय और विदेशी) के लिये अपने कुल ‘समायोजित निवल बैंक ऋण’ (Adjusted Net Bank Credit-ANBC) का 40% PSL के लिये निर्धारित करना अनिवार्य है।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और छोटे वित्तीय बैंकों को अपने एएनबीसी का 70% प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये आवंटित करना अनिवार्य है।