बुजुर्गों के लिये जीवन का गुणवत्ता सूचकांक 2021

अगस्त 2021 में प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने बुजुर्गों के लिये जीवन का गुणवत्ता सूचकांक जारी किया।

  • देश में कुल आबादी के प्रतिशत के रूप में बुजुर्गों की हिस्सेदारी वर्ष 2001 में लगभग 7.5 प्रतिशत थी, जो बढ़कर वर्ष 2026 तक लगभग 12.5 प्रतिशत हो जाएगी तथा वर्ष 2050 तक 19.5 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट की विशेषताएँ: EAC-PMके अनुरोध पर इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा यह सूचकांक तैयार किया गया है, जो ऐसे मुद्दों पर प्रकाश डालता है जिनका अक्सर बुजुर्गों के सामने आने वाली समस्याओं में उल्लेख नहीं किया जाता है।

  • यह रिपोर्ट भारतीय राज्यों में आयु बढ़ने के क्षेत्रीय पैटर्न की पहचान करने के साथ-साथ देश में आयु बढ़ने की समग्र स्थिति का भी आकलन करती है।
  • राष्ट्रीय बुजुर्ग नीति, 60+ आयु वर्ग के लोगों को बुजुर्ग के रूप में परिभाषित करती है।
  • यह निष्पक्ष रैंकिंग के माध्यम से राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देगी तथा उन स्तंभों और संकेतकों पर प्रकाश डालेगी जिनमें वे सुधार कर सकते हैं।
  • राजस्थान और हिमाचल प्रदेश क्रमशः वृद्ध और अपेक्षाकृत वृद्ध राज्यों में शीर्ष स्कोरर हैं।
  • सूचकांक के वित्तीय कल्याण, सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य प्रणाली और आय सुरक्षा प्रमुख स्तंभ है।
  • सूचकांक के आर्थिक सशक्तिकरण, शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति और रोजगार, सामाजिक स्थिति, शारीरिक सुरक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक कल्याण, सामाजिक सुरक्षा तथा पर्यावरण को सक्षम बनाना प्रमुख उप-स्तंभ है।