राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग

इसे संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत 1990 में स्थापित किया गया। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग को 89वें संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम, 2003 के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग नामक दो आयोगों में बांट दिया गया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग अनुसूचित जातियों को प्रदत्त सुरक्षोपायों की निगरानी रखने और साथ ही इनके कल्याण से संबंधित मुद्दों की समीक्षा करने के लिए जिम्मेवार है।

संविधान के अनुच्छेद 338(5) में वर्णित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के कार्य इस प्रकार हैं:

  • अनुसूचित जातियों के अधिकारों तथा सुरक्षोपायों से वंचित करने संबंधी विशेष शिकायतों की जांच करना।
  • अनुसूचित जातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना तथा संघ या किसी राज्य के अंतर्गत उनके विकास की प्रगति की समीक्षा करना।
  • राष्ट्रपति को उन सुरक्षोपायों के कार्यकरण पर वार्षिक रूप से या किसी ऐसे अन्य समय में जिसे आयोग उचित समझ, रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

अनुसूचित जातियों के संरक्षण, कल्याण तथा विकास तथा उन्नयन के संबंध में ऐसे अन्य कार्यों को करना, जो राष्ट्रपति द्वारा संसद के किसी कानून के उपबंधों द्वारा या किसी नियम द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएं।