म्यांमार के राष्ट्रपति की भारत यात्रा

हाल ही में, म्यांमार के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों द्वारा म्यांमार के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

यात्रा के महत्वपूर्ण निष्कर्ष

  • इम्फाल और मांडले के मध्य समन्वित बस सेवा की शुरुआत।
  • मणिपुर की सीमा के निकट तामू (म्यांमार) में एकीकृत चेक-पोस्ट के निर्माण में भारत द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।
  • भारत द्वारा कैंसर रोगियों के उपचार के लिए चिकित्सा विकिरण उपकरण भाभाट्रॉन II प्रदान किया जाएगा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ किया जाएगा।
  • रिफाइनरी, स्टॉकपाइलिंग, सम्मिश्रण और फुटकर विक्रय सहित पेट्रोलियम के क्षेत्र में गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट (दोनों सरकारों के मध्य) सहयोग के लिए सहमति व्यक्त की गई।
  • ‘त्वरित प्रभाव वाली परियोजनाओं’ (Quick Impact Project - QIPs) का म्यांमार तक विस्तार करना।
  • भारत द्वारा म्यांमार की ई-आईडी कार्ड्स (e-ID cards) परियोजना हेतु सहायता प्रदान की जाएगी। यह भारत की आधार (Aadhaar) परियोजना के सदृश है।
  • दोनों पक्ष म्यांमार में भारत के रुपे (RuPay) कार्ड को लॉन्च करने पर सहमत हुए।
  • दोनों पक्षों द्वारा ‘‘रखाइन राज्य विकास कार्यक्रम’’ के लिए और अधिक परियोजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया गया।
  • विभिन्न लंबित संधियों, जैसे- ‘‘पारस्परिक विधिक सहायता
  • संधि’’ और ‘‘प्रत्यर्पण संधि’’ पर वार्ता जारी रखने के प्रति प्रतिबद्धता।
  • ‘‘मानव दुर्व्यापार की रोकथाम, बचाव, रिकवरी, प्रत्यावर्तन और पीड़ितों के पुनः एकीकरण के लिए सहयोग’’ पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
  • कलादान परियोजना के अंतिम चरण पालेतवा-जोरिनपुई सड़क के कार्य को शीघ्र पूर्ण करना।

भारत के लिए म्यांमार का महत्व

भारत के लिए भू-रणनीतिक महत्वः भारत, म्यांमार के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर लंबी स्थलीय सीमा के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा को भी साझा करता है।

  • चार पूर्वोत्तर राज्य, नामतः अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम, म्यांमार के साथ सीमा साझा करते हैं।
  • इस प्रकार, यह भारत के लिए भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत की ‘‘नेबरहुड फर्स्ट’’ नीति और ‘‘एक्ट ईस्ट’’ नीति के संदर्भ में अति विशिष्ट राष्ट्र है।

उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोगः यह भारत से संलग्न एकमात्र आसियान (ASEAN) देश है। इसलिए इसे दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है तथा यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय सहयोग का एक प्रमुख घटक भी है।

  • इसके अतिरिक्त, म्यांमार ‘‘बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल’’ (BIMSTEC) के साथ-साथ ‘‘मेकांग गंगा सहयोग’’ का भी एक महत्वपूर्ण सदस्य है। ऐसे में यह भारत की ‘‘एक्ट ईस्ट’’ नीति के संदर्भ में विशिष्ट स्थान रखता है।

क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोगः म्यांमार ने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपने सम्मान की पुनर्पुष्टि की है तथा किसी भी विद्रोही समूह को भारत सरकार के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण कृत्य के लिए म्यांमार की भूमि का उपयोग न करने देने की नीति का दृढ़तापूर्वक अनुपालन किया है।

भारतीय डायस्पोराः वर्ष 1852 में लोअर बर्मा में ब्रिटिश शासन के आरंभ होने के उपरांत म्यांमार में भारतीय समुदाय का आविर्भाव हुआ।

  • म्यांमार के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मूल के लगभग 1.5-2.5 मिलियन लोगों के अधिवासित और कार्यरत होने का अनुमान है।

भारत-म्यांमार विवाद के मुख्य कारण

1967 के समझौतेः 1967 में दोनों देशों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सीमा का औपचारिक रूप से निर्धारण एवं सीमांकन किया गया था, फिर भी दोनों राष्ट्रों को अलग करने वाली सीमा रेखा जमीनी स्तर पर लागू नहीं हुई है।

ड्रग्स के अवैध प्रवाहः भारत के चार पूर्वोत्तर राज्यों की म्यांमार के साथ साझा सीमाएं हैं। भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह सहित बंगाल की खाड़ी को भी म्यांमार के साथ साझा करता है।

  • ड्रग्स गोल्डन ट्रायंगल के सीमा के समीप उपस्थिति भारतीय क्षेत्र में ड्रग्स के अप्रबंधित अवैध प्रवाह की सुविधा प्रदान करती है।
  • मणिपुर के सीमावर्ती कस्बे मोरेह के माध्यम से हेरोइन का बड़ा हिस्सा भारत में प्रवेश करता है। इसमें स्थानीय विद्रोहियों का समूह सक्रिय रूप से शामिल हैं।
  • 1995 में भारतीय और म्यांमार की सेना ने मणिपुर, नागालैंड और असम से संबंध रखने वाले विद्रोहियों के सफ्फ़ाया के लिए ऑपरेशन गोल्डन बर्ड नामक संयुक्त अभियान चलाया था।

बाड का निर्माणः हालिया संदर्भ में भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों की समस्या की जांच के लिए, भारत सरकार ने वर्ष 2013 में भारत-म्यांमार सीमा पर बॉर्डर पिल्लर संख्या 79 से 81 के बीच के क्षेत्र को बाधित करने के लिए एक कार्यवाई की मंजूरी दी।

  • इस मंजूरी के कारण मणिपुर में विरोध प्रदर्शन हुए, क्योंकि प्रदर्शनकारियों का मानना है कि म्यांमार की आपत्तियों के कारण 10 किलोमीटर की बाड का निर्माण भारतीय क्षेत्र में कई मीटर अंदर तक किया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप मणिपुर के एक बड़े हिस्से का म्यांमार में चले जाने की सम्भावना है। हालांकि विरोध प्रदर्शनों के बावजूद केन्द्र सरकार बाढ़ निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाने का फैसला लिया।

संयुक्त राष्ट्र की नशीली दवाओं की स्थिति पर क्षेत्रीय सम्मेलन

  • 30 सितंबर से 1 अक्टूबर, 2019 के बीच ‘संयुक्त राष्ट्र की ड्रग्स एंड क्राइम- दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय’ (UNODC-ROSA) और मणिपुर सरकार द्वारा संयुक्त रूप से नशीली दवाओं की स्थिति पर क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
  • इस सम्मेलन का विषय, ‘अफगान अफीम की अवैध तस्करी तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में नशीली दवाओं की स्थिति पर व्यापक दृष्टिकोण विकसित करना’ था।