हाल ही में, म्यांमार के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों द्वारा म्यांमार के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
यात्रा के महत्वपूर्ण निष्कर्ष
भारत के लिए म्यांमार का महत्व
भारत के लिए भू-रणनीतिक महत्वः भारत, म्यांमार के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर लंबी स्थलीय सीमा के साथ-साथ बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा को भी साझा करता है।
उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोगः यह भारत से संलग्न एकमात्र आसियान (ASEAN) देश है। इसलिए इसे दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है तथा यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय सहयोग का एक प्रमुख घटक भी है।
क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोगः म्यांमार ने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपने सम्मान की पुनर्पुष्टि की है तथा किसी भी विद्रोही समूह को भारत सरकार के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण कृत्य के लिए म्यांमार की भूमि का उपयोग न करने देने की नीति का दृढ़तापूर्वक अनुपालन किया है।
भारतीय डायस्पोराः वर्ष 1852 में लोअर बर्मा में ब्रिटिश शासन के आरंभ होने के उपरांत म्यांमार में भारतीय समुदाय का आविर्भाव हुआ।
भारत-म्यांमार विवाद के मुख्य कारण
1967 के समझौतेः 1967 में दोनों देशों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सीमा का औपचारिक रूप से निर्धारण एवं सीमांकन किया गया था, फिर भी दोनों राष्ट्रों को अलग करने वाली सीमा रेखा जमीनी स्तर पर लागू नहीं हुई है।
ड्रग्स के अवैध प्रवाहः भारत के चार पूर्वोत्तर राज्यों की म्यांमार के साथ साझा सीमाएं हैं। भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह सहित बंगाल की खाड़ी को भी म्यांमार के साथ साझा करता है।
बाड का निर्माणः हालिया संदर्भ में भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों की समस्या की जांच के लिए, भारत सरकार ने वर्ष 2013 में भारत-म्यांमार सीमा पर बॉर्डर पिल्लर संख्या 79 से 81 के बीच के क्षेत्र को बाधित करने के लिए एक कार्यवाई की मंजूरी दी।
संयुक्त राष्ट्र की नशीली दवाओं की स्थिति पर क्षेत्रीय सम्मेलन
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