भारत-यूनाइटेड किंगडम संवाद

भारत और ब्रिटेन के बीच घनिष्ट एवं मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है। वर्ष 2004 में द्विपक्षीय संबंध में जो रणनीतिक साझेदारी विकसित हुई उसे क्रमिक सरकारों द्वारा और मजबूत किया गया तथा 2010 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कैमरून की भारत यात्रा ने इसे और अधिक मजबूत किया तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2015 की ब्रिटेन यात्रा के पश्चात यह सम्बन्ध और प्रगाढ़ हो गया।

भारत-यूनाइटेड किंगडम संवाद

भारत-यूनाइटेड किंगडम के गृह मंत्रलय के बीच चौथा संवाद फरवरी 2022 में आयोजित किया गया जिसमें आंतरिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, प्रत्यर्पण मामले, प्रवासन और संचार आदि सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

  • भारत ने ब्रिटेन के अधिकारियों से लंबित पड़े प्रत्यर्पण मामलों में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया। भारतीय पक्ष ने ब्रिटेन में कुछ चरमपंथियों तथा कट्टरपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों पर भी चिंता व्यक्त की।
  • ब्रिटिश पक्ष से ऐसे तत्वों की गतिविधियों पर निगरानी रखने और उचित सक्रिय कार्रवाई करने का आग्रह किया गया। दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर आपसी सहमति भी बनी। इस बैठक का समापन दोनों पक्षों द्वारा सुरक्षा संबंधी द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर सहमति प्रकट करने के साथ हुई।
  • भारत, ब्रिटेन का महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार भी है। वैश्विक महामारी COVID-19 के दौरान दोनों देशों के मध्य स्वास्थ्य को लेकर अभूतपूर्व सहयोग देखा जा रहा है।

महत्व

  • ब्रिटेन में इंडियन डायस्पोरा देश के सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 1.5 मिलियन लोगों की आबादी है, जो ब्रिटेन की कुल आबादी की लगभग 1.8 प्रतिशत है। भारतीय डायस्पोरा ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद में 6 प्रतिशत का योगदान करता है।
  • यूरोप में एक सुरक्षा सहयोगी के रूप में बने रहते हुए ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र की तरफ झुक रहा है, जहां भारत एक स्वाभाविक सहयोगी हो सकता है।
  • ब्रिटेन पारंपरिक रूप से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिये एक पसंदीदा स्थान रहा है। वर्तमान में लगभग 20,000 भारतीय छात्र ब्रिटेन में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठड्ढक्रमों में अध्ययन कर रहे हैं।
  • वर्तमान में दोनों देशों के मध्य तकनीक, निवेश, सुरक्षा एवं रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भागीदारी को बढ़ावा देकर विदेश नीती में एक दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है। ताकि भारत को फार्मा, वित्तीय प्रौद्योगिकी, रसायन, रक्षा उत्पादन में सहयोग प्राप्त हो सकता है।

दोनों देशों के मध्य प्रमुख मुद्दे

प्रवासी भारतीयों का मुद्दा ब्रिटेन में बड़ी संख्या में भारतीय डायस्पोरा ने ब्रेक्जिट के खिलाफ मतदान किया था क्योंकि यह संभावना थी कि ब्रिटेन में भारतीय आईटी पेशेवरों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

  • व्यापार पर प्रभावः यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद भारत के साथ मुत्तफ़ व्यापार समझौते का पालन करना ब्रिटेन के लिये प्राथमिकता नहीं होगी।
  • ब्रिटेन प्रारंभ में व्यापार के लिये मौजूदा बाधाओं से निपटने पर ध्यान केंद्रित करेगा। लेकिन भारत को ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन में व्यापार के अंतर को भरने का अवसर नहीं छोड़ना चाहिये।
  • वीजा और आव्रजनः ब्रिटेन का मानना है कि यहां पर 1 लाऽ से अधिक अवैध भारतीय प्रवासी हैं। ब्रिटेन ने भारत सरकार पर यह सुनिश्चित करने के लिये दबाव डालना प्रारंभ कर दिया है कि जिन भारतीयों को ब्रिटेन में रहने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें भारत वापस भेजा जाए।
  • चीन -ब्रिटेन संबंधः संसदीय जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत को चीन जैसे गैर-लोकतांत्रिक देश की तुलना में कठिन वीजा मानदंडों का सामना करना पड़ रहा है।
  • ब्रिटेन को यह सुनिश्चित करने के लिये ध्यान रऽना चाहिये कि चीन के साथ मजबूत संबंध भारत के साथ गहरी साझेदारी को हानि पहुंचाने की कीमत पर नहीं होने चाहिये।