भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2021

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 जारी की है। यह भारत के वन और वृक्ष आवरण का आकलन है। इस रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा प्रकाशित किया जाता है।

  • वर्ष 1987 में पहला सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ था। वर्ष 2021 में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India State of Forest Report-ISFR) का यह 17वां प्रकाशन है।
  • ISFR का उपयोग वन प्रबंधन के साथ-साथ वानिकी और कृषि वानिकी क्षेत्रों में नीतियों के नियोजन एवं निर्माण में किया जाता है।
  • वनों की तीन श्रेणियों का सर्वेक्षण किया गया है जिनमें शामिल हैं- अत्यधिक सघन वन (70% से अधिक चंदवा घनत्व), मध्यम सघन वन (40-70%) और खुले वन (10-40%)।
  • स्क्रबस (चंदवा घनत्व 10% से कम) का भी सर्वेक्षण किया गया लेकिन उन्हें वनों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया।
  • कुल वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धिः 2019 (आईएसएफआर-2019) के आकलन की तुलना में, देश के कुल वन एवं वृक्ष आवरण में 2,261 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है। इसमें से वनावरण में 1,540 वर्ग किमी एवं वृक्षों के आवरण में 721 वर्ग किमी की वृद्धि देखी गई है।
  • देश का कुल वन एवं वृक्ष आवरण 9 मिलियन हेक्टेयर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 24-62 प्रतिशत है।
  • वनावरण में वृद्धि (शीर्ष राज्य): खुले वन में वन आवरण में वृद्धि देखी गई है, जिसके पश्चात अत्यंत सघन वन हैं।
  • आईएसएफआर-2021 के अनुसार, वनावरण में वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष तीन राज्य हैं-
    • आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी)
    • तेलंगाना (632 वर्ग किमी)
    • ओडिशा (537 वर्ग किमी)।

क्षेत्र-वार वन आवरणः आईएसएफआर 2021 की रिपोर्ट है कि क्षेत्र-वार मध्य प्रदेश में देश का सर्वाधिक बृहद वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं महाराष्ट्र हैं।

प्रतिशत-वार वनावरणः कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वनावरण के मामले में शीर्ष पांच राज्य हैं- कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में शीर्ष पांच राज्य मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नागालैंड हैं।

वन आवरण के अंतर्गत एक तिहाई से अधिक क्षेत्र वाले राज्य / केंद्र शासित प्रदेशः आईएसएफआर 2021 के निष्कर्ष के अनुसार 17 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में भौगोलिक क्षेत्र का 33 प्रतिशत से अधिक वनावरण के अंतर्गत है।

75% से अधिकः पांच राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश तथा मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं।

33%-75% के मध्यः 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, असम, ओडिशा में 33% से 75% के मध्य वन क्षेत्र है।-

मैंग्रोव आवरण में वृद्धिः भारत वन स्थिति रिपोर्ट (इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट) 2021 के अनुसार, 2019 के पिछले आकलन की तुलना में मैंग्रोव आवरण में 17 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि देखी गई है।

  • देश में कुल मैंग्रोव आवरण 4,992 वर्ग किमी है।
  • मैंग्रोव आवरण में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष तीन राज्य हैं-
    • ओडिशा (8 वर्ग किमी)
    • महाराष्ट्र (4 वर्ग किमी) एवं
    • कर्नाटक (3 वर्ग किमी)।

कुल कार्बन स्टॉकः भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 देश के कार्बन स्टॉक में 2019 के अंतिम आकलन की तुलना में 4 मिलियन टन की वृद्धि को दर्शाता है।

  • कार्बन स्टॉक में वार्षिक वृद्धि 7 मिलियन टन है।
  • देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है।

बांस वनः आईएसएफआर 2021 के अनुसार, 2019 में बांस के वन 13,882 मिलियन से बढ़कर 2021 में 53,336 मिलियन हो गए हैं।

वनों की आग की स्थितिः भारत की वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 के निष्कर्ष बताते हैं कि 46 प्रतिशत वन क्षेत्र में अग्नि प्रवण (आग लगने का खतरा) है। इसमें से 81% अत्यधिक प्रवण है, 7-85% बहुत अधिक प्रवण है एवं 11-51% अत्यधिक प्रवण है।

भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉटः आईएसएफआर 2021 के अनुसार, लगभग 45-64% भारतीय वन 2030 तक जलवायु परिवर्तन एवं बढ़ते तापमान के नकारात्मक प्रभाव का अनुभव करेंगे।

  • सभी भारतीय राज्यों (असम, मेघालय, त्रिपुरा एवं नागालैंड के अतिरिक्त) में वन अत्यधिक संवेदनशील जलवायु वाले हॉट स्पॉट होंगे।
  • केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (वन आवरण 1-0-2%) जलवायु परिवर्तन एवं बढ़ते तापमान के कारण सर्वाधिक प्रभावित होने की संभावना है।
  • टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में वन आवरणः आईएफएसआर 2021 में भारत के टाइगर रिजर्व, गलियारे एवं सिंह (शेर) संरक्षण क्षेत्र में वन आवरण के आकलन से संबंधित एक नया अध्याय सम्मिलित किया गया है।
  • विगत दशक में 52 बाघ अभ्यारण्यों में वनावरण में कुल कमी 62 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) रही है।
  • 52 बाघ अभ्यारण्यों में से लगभग 20 में वृद्धि की प्रवृत्ति प्रदर्शित की है।
  • वन क्षेत्र में वृद्धि प्रदर्शित करने वाले शीर्ष तीन टाइगर रिजर्वदृ
    • बक्सा (पश्चिम बंगाल)- 80 वर्ग किमी
    • अन्नामलाई (तमिलनाडु)- 78 वर्ग किमी एवं
    • इंद्रावती (छत्तीसगढ़) - 48 वर्ग किमी
  • शेष 32 टाइगर रिजर्व में गिरावट की प्रवृत्ति प्रदर्शित हुई है, जो असम के ओरंग में 06 वर्ग किमी से लेकर तेलंगाना के कवाल में 118-97 वर्ग किमी तक विस्तृत है।

ISFR 2021 की विशेषताएं

  • इसने पहली बार टाइगर रिजर्व, टाइगर कॉरिडोर और गिर के जंगल जिसमें एशियाई शेर रहते हैं, में वन आवरण का आकलन किया है।
  • वर्ष 2011-2021 के मध्य बाघ गलियारों में वन क्षेत्र में 37.15 वर्ग किमी (0.32%) की वृद्धि हुई है, लेकिन बाघ अभ्यारण्यों में 22.6 वर्ग किमी (0.04%) की कमी आई है।
  • इन 10 वर्षों में 20 बाघ अभ्यारण्यों में वनावरण में वृद्धि हुई है, साथ ही 32 बाघ अभ्यारण्यों के वनावरण क्षेत्र में कमी आई।
  • बक्सा (पश्चिम बंगाल), अनामलाई (तमिलनाडु) और इंद्रावती रिजर्व (छत्तीसगढ़) के वन क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है जबकि कवल (तेलंगाना), भद्रा (कर्नाटक) और सुंदरबन रिजर्व (पश्चिम बंगाल) में हुई है।
  • अरुणाचल प्रदेश के पक्के टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक लगभग 97% वन आवरण है।