गाडगिल समिति

वर्ष 2010 में निर्माण, खनन, उद्योग, अचल संपत्ति और जलविद्युत से पारिस्थितिकी तंत्र को होने वाले नुकसान से निपटने हेतु पारिस्थितिक विज्ञानी माधव गाडगिल की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2011 में पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी।

समिति की प्रमुख अनुशंसाएँ निम्नवत थीं-

  • इस पूरे क्षेत्र में आनुवंशिक रूप से संशोधित खेती पर प्रतिबंध लगया जाना चाहिये।
  • तीन साल में प्लास्टिक बैग का चरणबद्ध निपटान होना चाहिये।
  • किसी नए विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना की अनुमति नहीं होनी चाहिये। सार्वजनिक भूमि के निजी भूमि में रूपांतरण पर प्रतिबंध और ESZ I या II में गैर-वन प्रयोजनों के लिये वन भूमि को नुकसान पहुंचाये जाने पर प्रतिबंध।
  • ESZ I के तहत किसी नए बांध को बनाये जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिये।
  • ESZ I में किसी नए थर्मल पावर प्लांट या बड़े पैमाने पर पवन ऊर्जा परियोजनाओं को अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
  • ESZ I या II क्षेत्रों में किसी नए प्रदूषणकारी उद्योग की स्थापना तथा रेलवे लाइन या प्रमुख सड़कों को बनाये जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।
  • इन क्षेत्रों में पर्यटन को लेकर सख्त विनियमन होना चाहिये।
  • बांधों, खानों, पर्यटन, आवास जैसी सभी नई परियोजनाओं के लिये संचयी प्रभाव मूल्यांकन होना चाहिये।
  • इसके अलावा समिति ने इस क्षेत्र में इन गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये एक पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी प्राधिकरण बनाए जाने का प्रस्ताव भी दिया।