9 मार्च 2021 को भारतीय और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने संयुक्त रूप से पूर्वोत्तर (एनई) भारतीय राज्य त्रिपुरा और बांग्लादेश को जोड़ने वाले ‘मैत्री सेतु’ या मैत्री पुल का शुभारंभ किया, जो ‘भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों और मैत्री संबंधों का प्रतीक है’।
सेतु से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
भारत के प्रधानमंत्री ने 2015 में एक प्रसारण में बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने वाले पुल की जरूरत और महत्व को व्यक्त किया था।
मैत्री सेतु का रणनीतिक महत्व
भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र सिलीगुड़ी गलियारा नामक एक बहुत ही संकीर्ण भूमि पट्टðी के माध्यम से शेष भारत से जुड़ा हुआ है, जिसे अनौपचारिक रूप से ‘चिकन की गर्दन’ कहा जाता है, जो यह उत्तर पश्चिम बंगाल, पड़ोसी नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में भूमि का एक अत्यंत संकीर्ण खंड (लगभग 22 किमी चौड़ा) है।
मैत्री सेतु का आर्थिक महत्व
भारत दक्षिण एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। बांग्लादेश भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का अभिन्न अंग है।
भारत के लिए बांग्लादेश का महत्व