कर्मचारी भविष्य निधि

कर्मचारी भविष्य निधि की स्थापना दिनांक 15 नवम्बर, 1951 को कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश के जारी होने के साथ हुई। इस अध्यादेश को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 द्वारा बदला गया।

कर्मचारी भविष्य निधि बिल को संसद में वर्ष 1952 के बिल संख्या 15 के रूप में लाया गया, ताकि कारखानों तथा अन्य संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य निधि की स्थापना के प्रावधान हो सके।

  • ईपीएफओ विश्व में सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन है और वर्तमान में अपने सदस्यों से संबंधित 24.77 करोड़ खातों (वार्षिक रिपोर्ट 2019-20) का रखरखाव कर रहा है।
  • इसे अब कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम 1952 के रूप में जाना जाता है। यह अधिनियम पूरे भारत में लागू है।
  • इस अधिनियम तथा इसके अंतर्गत बनी योजनओं का प्रशासन एक त्रिपक्षीय बोर्ड केंद्रीय न्यासी बोर्ड जिसमें सरकार (केंद्र तथा राज्य दोनों), नियोक्ता तथा कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल हैं, द्वारा किया जाता है।
  • केंद्रीय न्यासी बोर्ड संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए अंशदायी भविष्य निधि योजना, पेंशन योजना तथा बीमा योजना का प्रशासन करता है। यह ग्राहकों की संख्या तथा वित्तीय लेन-देन के आधार पर संसार की सबसे बड़ी संस्था है। बोर्ड की सहायता ईपीएफओ जिसमें देश भर में 138 विभिन्न स्थानों पर कार्यालय हैं, द्वारा की जाती है।
  • कर्मचारी भविष्य निधि संगठन भारत सरकार के श्रम एवं नियोजन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं। संगठन के पास इसके पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों के प्रशिक्षण एवं नियोक्ताओं और श्रमिकों के प्रतिनिधियों के लिए सेमिनार करने के लिए एक सुसज्जित प्रशिक्षण संस्थान भी है।
  • केंद्रीय न्यासी बोर्ड तीन योजनाएं चला रहा है। ईपीएफ योजना 1952, पेंशन योजना 1995, इंश्योरेंस योजना 1976