रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति, 2020

अगस्त, 2020 को रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति, 2020 का मसौदा जारी कर दिया गया है।

  • यह नीति निम्नलिखित लक्ष्यों और उद्देश्यों को निर्धारित करती है-
  • वर्ष 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35,000 करोड़ (US + 5 बिलियन) के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये (US + 25 बिलियन) का कारोबार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • एयरोस्पेस और नौसेना जहाज निर्माण उद्योग सहित एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्धी रक्षा उपयोग विकसित करना।
  • आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू डिजाइन व विकास के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाना।
  • रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने व वैश्विक रक्षा मूल्य श्रृंखलाओं का हिस्सा बनना।

इस नीति के अंतर्गत लागू की जाने वाली रणनीतियां

  • अधिप्राप्ति (खरीद) सुधार
  • MSME/स्टार्टअप जैसे कार्यक्रमों पर जोर देना
  • संसाधन आवंटन सुधार
  • निवेश संवर्धन, एफ-डी-आई- व व्यापार करने में सुगमता
  • अनुसंधान व विकास और नवीनीकरण
  • रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र (DPSU) और आयुध निर्माण (OFB)
  • गुणवत्ता आश्वासन व परीक्षण अवसंरचना
  • निर्यात प्रोत्साहन

भारत की रक्षा उत्पादन नीति (DPP)

  • स्वदेशी रक्षा उत्पादन तकनीक अथवा रक्षा क्षेत्र से जुड़ा औद्योगिक आधार किसी भी देश के दीर्घकालिक सामरिक नियोजन का अभिन्न अवयव है।
  • आयात पर काफी अधिक निर्भरता न केवल सामरिक नीति एवं इस क्षेत्र की सुरक्षा में भारत द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका के नजरिए से अत्यंत नुकसानदेह है, बल्कि विकास एवं रोजगार सृजन की संभावनाओं के मद्देनजर आर्थिक दृष्टि से भी चिंता का विषय है।
  • सही अर्थों में सैन्य शक्ति में आधुनिक समृद्धि सुपर पावर के रूप में किसी भी राष्ट्र के उत्थान की कुंजी है।

रक्षा उत्पाद नीति का मुख्य लक्ष्य

वर्तमान में लघु एवं माध्यम उद्यमों (Small and Micro Interprises SMEs) प्रोत्साहन देना तथा भारत के अनुसंधान के आधुनिक मापदंडों को प्राप्त करना।

  • रक्षा खरीद प्रक्रिया में खरीदो और बनाओ (Buy and make) तथा ‘बाय (ग्लोबल) के श्रेणी से ‘बाय’ इंडियन एंड मेक (इंडियन) श्रेणी को प्रमुखता दिया जा रहा है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के ऑटोमेटिक रूट से 49 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति एवं 49 प्रतिशत से अधिक निवेश पर गवर्नमेंट रूट से अनुमति।
  • रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की आरंभिक वैधता को तीन वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया।
  • अधिकतर रक्षा उपकरण, पुर्जों उप-तंत्रों, रक्षा उत्पादों के औद्योगिक लाइसेंस की अनिवार्यता श्रेणी से बाहर कर दिया गया।