रक्षा सहयोग

जुलाई 2019 में, भारत-म्यांमार ने एक ऐतिहासिक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए।

  • वर्ष 2018 के पश्चात, भारत और म्यांमार के सशस्त्र बलों ने म्यांमार के रखाइन प्रांत की सीमाओं पर आतंकवादियों से निपटने हेतु ‘‘ऑपरेशन सनशाइन’’ अभियानों का संचालन किया।
  • बंगाल की खाड़ी के बढ़ते महत्व के परिप्रेक्ष्य में भारत एवं म्यांमार एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय नौसैन्य अभ्यास ‘‘इम्नेक्स’’ (IMNEX) का आयोजन करते हैं।
  • भारत म्यांमार की सेना को सैन्य प्रशिक्षण भी प्रदान करता है और इनके साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास का भी आयोजन करता है, जैसे- भारत-म्यांमार द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘‘इम्बैक्स’’ (IMBAX)।
  • भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में द्विवार्षिक रूप से आयोजित होने वाले भारत के नेतृत्वाधीन बहुपक्षीय मिलन नौसैन्य अभ्यास में भाग लेने हेतु म्यांमार की सेना को आमंत्रित किया है।
  • ‘‘मेक इन इंडिया’’ के तहत अपने हथियार उद्योग को बढ़ावा देने हेतु, भारत ने अपने सैन्य निर्यात को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख हथियार क्रेता देश के रूप में म्यांमार की पहचान की है।
  • म्यांमार ने वर्ष 2017 में ‘‘तल शेना’’ (TAL Shyena) नामक भारत के प्रथम स्वदेश निर्मित एंटी-सबमरीन टारपीडो की खरीद की थी।
  • वर्ष 2019 में म्यांमार ने डीजल-इलेक्ट्रिक किलो-क्लास पनडुब्बी INS सिंधुवीर की खरीद की थी।

आपदा राहत

  • चक्रवात मोरा (2017), चक्रवात नर्गिस (2008), शान राज्य में भूकंप (2010) तथा चक्रवात कोमेन (2015) जैसी प्राकृतिक विपदाओं के पश्चात भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के क्षेत्र में क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करके मानवीय राहत कार्यों में म्यांमार की सहायता करने के लिए तुरंत और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

सांस्कृतिक सहयोग

  • भारत और म्यांमार के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध है। भगवान बुद्ध के जीवन के भारत से जुडाव को देखते हुए विशेष रूप से बौद्ध समुदाय में बंधुत्व की गहरी भावना मौजुद है।
  • साझी सांस्कृतिक विरासत के आधार पर भारत द्वारा कुछ महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की गई है, उदाहरणार्थ- बागान स्थित आनंद मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य।
  • इसके अतिरिक्त, भारत द्वारा सारनाथ स्थित बुद्ध प्रतिमा के समान 16 फुट ऊंची इसकी एक प्रतिकृति दानस्वरूप प्रदान की गई है, जिसे यांगून में शवे दागोन पैगोडा परिसर में अधिष्ठापित किया गया है।

विकास सहयोग

  • भारत म्यांमार को अन्य किसी भी देश की तुलना में अधिक अनुदान सहायता प्रदान करता है।
  • भारत ने शरणार्थियों (उनके लौटने के पश्चात) के पुनर्वास के लिए ‘इंडिया-म्यांमार फ्रेंडशिप प्रोजेक्ट’ के तहत, रखाइन प्रांत में 250 निर्मित घर उपलब्ध कराए हैं। इसके अतिरिक्त, इनमें निम्नलिखित चार प्रमुख कनेक्टिविटी परियोजनाएं भी शामिल हैं:
  • कलादान मल्टी-मॉडल कॉरिडोर; तामू-किगोन-कोलेवा सड़क मार्ग पर 69 सेतुओं का जीर्गोद्धार; 120 किलोमीटर लंबे कालेवा-यारगई कॉरिडोर का निर्माण (ये दोनों ‘भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग’ का हिस्सा है); एवं मिजोरम की सीमा के निकट स्थित चिन प्रांत में रि-तिदिम सड़क का निर्माण।

वाणिज्यिक सहयोग

  • भारत, म्यांमार का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वर्ष 1970 में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के परिणामस्वरूप वर्ष 2017-18 में व्यापार 1.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था।
  • व्यापार में कृषि क्षेत्र की अत्यधिक हिस्सेदारी है, विशेष रूप से भारत को बीन्स और दालों का निर्यात किया है तथा काष्ठ की भी अत्यधिक आपूर्ति की जाती है। म्यांमार को भारत से किए जाने वाले निर्यात में चीनी, औषधि आदि शामिल है।
  • म्यांमार का तेल और गैस क्षेत्रक भारत से अत्यधिक विदेशी निवेश आकर्षित करता है।

लोगों के मध्य परस्पर संपर्क

  • लोगों के आवागमन को सुगम बनाने हेतु, दोनों देशों द्वारा वर्ष 2018 में लैंड बॉर्डर क्रॉसिंग अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए।
  • इस समझौते के माध्यम से वैध दस्तावेजों से युक्त प्रामाणिक व्यक्तियों को प्रवेश/निकासी के दो अंतर्राष्ट्रीय बिंदुओं (मोरेह-तामू और जोखाव्थर-रिह) पर सीमा पार करने की अनुमति प्रदान की गयी है।
  • म्यांमार की सीमा के निकट अवस्थित राज्यों के लिए ‘उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएं’ और ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ की शुरुआत की गयी है।
  • 18 फरवरी, 2020 को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन-बीरेन सिंह ने घोषणा की कि इंफाल और मांडले के बीच बस सेवा शुरू करने के लिए भारत और म्यांमार ने एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • इस संबंध में 14 फरवरी, 2020 को मांडले स्थित शवे मांडले एक्सप्रेस कंपनी लिमिटेड और भारत की सेवन सिस्टर हॉलीडेज कंपनी लिमिटेड के मध्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत हुआ था।

मुक्त आवागमन व्यवस्था

  • भारत और म्यांमार सीमा पर जनजातीय लोगों को अबाध आवाजाही की सुविधा प्रदान करने हेतु मुक्त आवागमन व्यवस्था तंत्र को प्रस्तुत किया गया था। सीमा के निकट निवास करने वाले जनजातीय लोगों को वीजा प्रतिबंधों के बिना सीमा-पार 16 कि-मी- तक की यात्रा करने की अनुमति प्रदान करता है।