हाल ही में, चीन ने तिब्बत में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण राजमार्ग के निर्माण कार्य को पूर्ण कर लिया है।
तिब्बत का महत्व
तिब्बत विश्व का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा पठार है, जो लगभग 2-5 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक विस्तारित है। इसकी समुद्र तल से औसत ऊंचाई 4,000 मीटर से अधिक है।
चीन के लिए महत्व
भू-रणनीतिक महत्वः दक्षिण एशिया में अपनी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षा का विस्तार करने के लिए चीन तिब्बत को एक रणनीतिक मार्ग के रूप में देखता है।
हालांकि, माओ ने कहा था कि तिब्बत चीन की हथेली है और लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान एवं अरुणाचल प्रदेश उसकी उंगलियां हैं। साथ ही, चीन इसे अपने पश्चिमी छोर पर स्थित देशों तक पहुंचने के एक साधन के रूप में चिह्नित करता है, जो चीन एवं दक्षिण व मध्य एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
जल स्रोतः तिब्बत को ‘एशिया का जल स्तंभ’ कहा जाता है। तिब्बत के ग्लेशियर एशिया की विशाल नदियों (ब्रह्मपुत्र, मेकांग, यांग्त्जी, सिंधु, येलो और साल्विन) के लिए एक विशाल जल स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। पठार का खनिज युक्त जल, क्षेत्र के प्रथम व्यावसायिक रूप से उपयोगी संसाधनों में से एक बन गया है।
पर्यटन क्षमताः शांगरी ला सर्कल के अंतर्गत तिब्बत, सिचुआन और युन्नान के त्रिकोणीय सीमा क्षेत्र शामिल हैं। इसे पहले से ही एक प्रमुख राष्ट्रीय पर्यटन विकास क्षेत्र के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है।
खनिज संसाधनः चीन का सबसे बड़ा तांबे का निक्षेप तिब्बत की तांबे की खदान यूलोंग में स्थित है। तिब्बत में बड़ी मात्र में लौह, सीसा, जस्ता और कैडमियम पाए जाते हैं, जो चीन की प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार तिब्बत में महत्वपूर्ण कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार भी मौजूद हैं।
भारत के लिए महत्व
भू-रणनीतिकः रणनीतिक रूप से, तिब्बती भारत के लिए प्रथम रक्षा पंक्ति रहा है। भारत और चीन के मध्य एक पारंपरिक बफर राज्य के रूप में तिब्बत की अनुपस्थिति ने भारत-तिब्बत सीमा को चीन-भारतीय सीमा में रूपांतरित कर दिया है। वर्ष 1914 में हुए शिमला कन्वेंशन को लेकर चीन द्वारा विरोध प्रकट किया जाता रहा है।
तिब्बत में सापेक्षिक शांति की स्थितिः तिब्बत में निर्माणकारी गतिविधियों और चीनी सरकार एवं तिब्बतियों के बीच संबंधों ने चीन-भारतीय संबंधों को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। तिब्बत में सापेक्षिक शांति की स्थिति, भारत और चीन के मध्य संबंधों को बेहतर बनाने में सहयोग करती है। चीन-तिब्बत के तनाव बढ़ने से, चीन के साथ भारत के संबंध भी विकृत होने लगते हैं।
पारिस्थितिक महत्वः तिब्बती पठार, एशियाई मानसून को लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं और दोनों ध्रुवों के इतर हिमनदों का यह सबसे बड़ा संकेंद्रण है।
संस्कृति महत्वः बौद्ध धर्म को तिब्बत में भारतीयों द्वारा प्रारंभ किया गया था। तिब्बत को दलाई लामा का अधिवास स्थल माना जाता है, जो भारतीय बौद्धों के लिए एक सम्मानित एवं धार्मिक नेता है।
तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Tibet Autonomous Region: TAR)
|