सहयोग के क्षेत्र

हाल ही में भारत और मालदीव ने 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा क्षेत्र से जुड़े एक लाइन ऑफ क्रेडिट समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

इसे भारत और मालदीव के रणनीतिक हितों की कुंजी के रूप में देखा जा रहा है, विशेष रूप से वर्तमान में जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के हस्तक्षेप में वृद्धि देखी गई है।

सहयोग के क्षेत्र

माले के उत्तर-पश्चिम उथुरु थिला फालु (Uthuru Thila Falhu-UTF) नौसेना बेस पर भारत की सहायता से एक डॉकयार्ड का निर्माण किया जाएगा।

यह समझौते पर वर्ष 2016 में मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम की भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर हुआ था।

  • भारत और मालदीव के बीच सिफावारु (Sifavaru) में एक मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स कोस्ट गार्ड हार्बर विकसित किया जायेगा। भारत इस बंदरगाह के लिये आवश्यक बुनियादी ढांचे (जैसे- संचार संसाधनों और रडार सेवाओं) के विकास में सहायता प्रदान करने के साथ ही प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।

महत्व

  • मालदीव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये समर्थन का आश्वासन दिया।
  • मालदीव के दक्षिणी और उत्तरी भाग में दो महत्त्वपूर्ण ‘सी लाइन्स ऑफ कम्युनिकेशन’ (Sea Lines of Communication- SLOCs) स्थित हैं। ये SLOC पश्चिम एशिया में अदन और होर्मुज की खाड़ी तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में मलक्का जलडमरूमध्य के बीच समुद्री व्यापार प्रवाह के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भारत के विदेशी व्यापार का लगभग 50% और इसकी ऊर्जा आयात का 80% हिस्सा अरब सागर में इन SLOCs से होकर गुजरता है। भारत और मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) और दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (एसएएसईसी) के सदस्य है।
  • भारत और मालदीव ‘एकुवेरिन’ (Ekuverin) नामक एक संयुक्त सैन्य अभ्यास का आयोजन किया जाता है।
  • आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत का सहोयग जैसे वर्ष 2004 में सुनामी और इसके एक दशक बाद मालदीव में पेयजल संकट कुछ अन्य ऐसे मौके थे जब भारत ने उसे आपदा सहायता पहुंचाई।
  • मालदीव, भारत द्वारा अपने सभी पड़ोसी देशों को उपलब्ध कराई जा रही COVID-19 सहायता और वैक्सीन (मिशन सागर सहायता) के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक रहा है।
  • मालदीव के छात्र भारत के शैक्षिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करते हैं और भारत द्वारा विस्तारित उदार वीजा-मुक्त व्यवस्था का लाभ लेते हुए मालदीव के मरीज उच्च कोटि की स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के लिये भारत आते हैं।
  • आर्थिक सहयोगः पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है

चुनौतियाँ

  • मालदीव की राजनीतिक अस्थिरता का संभावित प्रभाव, एक बड़ी चिंता का विषय है। फरवरी 2015 में आतंकवाद के आरोपों में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी और इसके बाद के राजनीतिक संकट ने भारत की नेबरहुड पॉलिसी के लिये वास्तव में एक कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया था।
  • मालदीव एक दशक में इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंकवादी समूहों और पाकिस्तान स्थित मदरसों तथा जिहादी समूहों की ओर झुकाव वाले नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
  • पाकिस्तानी आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के लिये मालदीव के सुदूर द्वीपों को एक लॉन्च पैड के रूप में उपयोग करने की संभावना।
  • चीन के मालदीव के सामरिक दखल में वृद्धि मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।

आगे की राह

  • भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग, संपर्क/आवागमन के महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग, चीन की समुद्री एवं
  • नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखने के संदर्भ में भारत की क्षमता में वृद्धि करेगा।
  • सरकार की ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के अनुसार, मालदीव जैसे स्थिर, समृद्ध और शांतिपूर्ण देश के विकास के लिये भारत एक प्रतिबद्ध भागीदार बना हुआ है।