भारतीय संविधान में 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया तथा इस संशोधन के माध्यम से संविधान में ‘भाग 9 क’ जोड़ा गया एवं यह 1 जून, 1993 से प्रभावी हुआ।
अनुच्छेद 243त (243P) से 243;N (243 ZG) तक नगरपालिकाओं से संबंधित उपबंध किये गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 243 (थ) में नगरपालिकाओं के तीन स्तरों के बारे में उपबंध हैं, जो इस प्रकार हैं-
नगर पंचायत- ऐसे संक्रमणशील क्षेत्रों में गठित की जाती है, जो गांव से शहरों में परिवर्तित हो रहे हैं। नगरपालिका परिषद- छोटे शहरों अथवा लघु नगरीय क्षेत्रों में गठित किया जाता है।
नगर निगम- बड़े नगरीय क्षेत्रों, महानगरों में गठित की जाती है।
इसके द्वारा संविधान में 12वीं अनुसूची जोड़ी गई जिसके अंतर्गत नगरपालिकाओं को 18 विषयों की सूची विनिर्दिष्ट की गई है।
नगरपालिका की सभी सीटों को नगरपालिका निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन से चुने गए व्यक्तियों द्वारा भरा जाएगा।
प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिये सीटें आरक्षित की जाएंगी।
आरक्षित सीटों की संख्या एक-तिहाई से कम नहीं होगी।
राज्य का विधानमंडल विधि द्वारा नगरपालिकाओं को कर लगाने और ऐसे करों, शुल्कों, टोल और फीस इत्यादि को उचित तरीके से एकत्र करने के लिये प्राधिकृत कर सकता है।