24वां वार्षिक शिखर सम्मेलन

इसे बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) कहा जाता है। जो एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय संगठन है तथा यह क्षेत्रीय एकता का प्रतीक हैं। इस संगठन में बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्र में स्थित देश सदस्य हैं।

24वां वार्षिक शिखर सम्मेलन

जून 2021 को बिम्सटेक का 24वां वार्षिक शिखर सम्मेलन सम्पन्न हुआ तथा जून 2022 को इसकी स्थापना के 25 वर्ष पुरे होंगे। 6 जून को 24वें बिम्सटेक दिवस पर भारत के प्रधानमन्त्री ने कहा कि फ्बिम्सटेक एक आशाजनक क्षेत्रीय समूह के रूप में उभरा है और इसमें कनेक्टिविटी समेत कई क्षेत्रों में प्रगति की है।य्

  • वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा के माध्यम से किया गया था जिसका प्रारम्भ में नाम 'BIST-EC' (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) था, जिसमें चार सदस्य राष्ट्र शामिल थे। वर्ष 1997 में म्यांमार के शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर 'BIMST-EC' कर दिया गया। वर्ष 2004 में नेपाल और भूटान के इसमें शामिल होने के बाद संगठन का नाम बदलकर बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन कर दिया गया।
  • इसके 7 सदस्यों में से 5 दक्षिण एशिया से हैं जिनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं तथा दो- म्यांमार और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं।
  • बिम्सटेक न सिर्फ दक्षिण और दक्षिण पूर्व-एशिया के बीच संपर्क बनाता है बल्कि हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है।

उद्देश्य

  • क्षेत्र में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना।
  • सहयोग और समानता की भावना विकसित करना।
  • सदस्य राष्ट्रों के साझा हितों के क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
  • शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में एक-दूसरे पूर्ण सहयोग।

बिम्सटेक के सिद्धांत

  • समान संप्रभुता
  • क्षेत्रीय अखंडता
  • राजनीतिक स्वतंत्रता
  • आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
  • पारस्परिक लाभ
  • सदस्य देशों के मध्य अन्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग को प्रतिस्थापित करने के बजाय अन्य विकल्प प्रदान करना।

सहयोग के क्षेत्रः यह संगठन व्यापार और निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन और संचार, पर्यटन, मत्स्य पालन, कृषि, सांस्कृतिक सहयोग, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, लोगों के बीच आपसी संपर्क, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटना तथा जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित क्षेत्रों में परस्पर सहयोग करता है।

महत्त्वः यह संगठन दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के मध्य एक सेतु की भांति कार्य करता है तथा सार्क और आसियान के सदस्यों के बीच अंतर-क्षेत्रीय सहयोग हेतु मंच प्रदान करता है। संगठन में सदस्य देशों की जनसंख्या लगभग 1-5 अरब है जो वैश्विक आबादी का लगभग 22% है। दुनिया के कुल व्यापार का एक-चौथाई हिस्सा प्रतिवर्ष बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरता है। बंगाल की खाड़ी में विशाल अप्रयुक्त (बिना इस्तेमाल हुए) प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं।

भारत हेतु महत्वः यह आशियान देशों के साथ सम्बन्ध बनाने के साथ-साथ न केवल दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है, बल्कि महान हिमालय और बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी तंत्र को भी जोड़ता है।

  • भारत की विदेश नीति की केंद्रीय बिंदु ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ की प्राथमिकता को पूरा करने के लिए बिम्सटेक एक प्राकृतिक मंच है।
  • भारत के लगभग 300 मिलियन लोग बंगाल की खाड़ी (आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल) से सटे चार तटीय राज्यों में रहते हैं। इसके साथ ही लगभग 45 मिलियन लोग पूर्वोत्तर राज्यों में रहते हैं। यदि ये दोनों क्षेत्र बंगाल की खाड़ी, म्यांमार और थाईलैंड से जुड़ जाते हैं तब यह क्षेत्र में आर्थिक विकास की गति को तीव्र किया जा सकता है।
  • मलक्का जलडमरूमध्य (Strait of Malacca) से जुड़ी बंगाल की खाड़ी, चीन के लिए हिंद महासागर तक पहुंच सुनिश्चित कर सामरिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • चीन ने भूटान और भारत को छोड़कर लगभग सभी बिम्सटेक देशों में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए व्यापक पैमाने पर अभियान चला रखा है।
  • चीन का बंगाल की खाड़ी में आक्रामक गतिविधियां और हिंद महासागर में सबमरीन/ पनडुब्बियों के आवागमन बढ़ने से उत्पन्न चुनौतियों को प्रति संतुलित करने के लिए भारत को बिम्सटेक देशों के मध्य आंतरिक संबंध को बढ़ाना होगा।
  • बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों में चीन के बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव के विस्तारवादी प्रभावों से भारत को मुकाबला करने का अवसर प्रदान करता है।
  • भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क- SAARC) महत्त्वहीन हो जाने के कारण भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने हेतु एक नया मंच प्रदान करता है।

महत्त्वपूर्ण परियोजनाएं

  • कलादान मल्टीमॉडल परियोजनाः यह परियोजना भारत और म्यांमार को जोड़ती है जिसे 2008 में आरंभ किया गया था। इस परियोजना के अंतर्गत सड़क, नदी, बंदरगाह आदि के माध्यम से कोलकाता को म्यांमार से और फिर म्यांमार की कालादान नदी से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को जोड़ा जा रहा है। इस परियोजना का मुख्य हिस्सा म्यांमार के रखाईन और चिन प्रान्तों के होकर गुजरता है। इस परियोजना को भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में भी देखा जाता है।
  • एशियाई त्रिपक्षीय राजमार्गः म्यांमार से होकर भारत और थाईलैंड को जोड़ता है। लगभग 1,400 किलोमीटर के त्रिपक्षीय राजमार्ग का लक्ष्य दक्षिण-पूर्व एशिया में व्यापार को व्यापक बढ़ावा देना है और यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ (Act East) नीति का एक अभिन्न हिस्सा है। इस परियोजना का 2021 तक पूरा होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) को तकनीकी कार्यान्वयन एजेंसी और परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता नियुक्त किया गया है।
  • बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौताः यात्री और माल परिवहन के निर्बाध प्रवाह हेतु इसे 2015 में हस्ताक्षर किया गया था जो सदस्य देशों के बीच यात्री, व्यक्तिगत और मालवाहक वाहनों की गति को विनियमित करने का प्रयास करता है। यह हस्ताक्षरकर्ताओं को अपने वाहनों को एक-दूसरे के क्षेत्र में प्लाई करने की अनुमति देता है।

चुनौतियाँ

  • सदस्य देशों के मध्य द्विपक्षीय तनावों का होना।
  • बैठकों में निरंतरता का अभाव बिम्सटेक ने प्रति दो वर्षों में शिखर सम्मेलन, प्रतिवर्ष मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन वर्ष 2018 तक 20 वर्षों में केवल चार शिखर सम्मेलन हुए हैं। सदस्य राष्ट्रों द्वारा बिम्सटेक की उपेक्षा तथा वहीं अन्य प्रमुख सदस्य जैसे- थाईलैंड तथा म्यांमार द्वारा बिम्सटेक की तुलना में आसियान पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जाना।
  • बिम्सटेक का कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक होना है। इसमें पर्यटन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि आदि जैसे 14 क्षेत्र शामिल हैं। सदस्य राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय मुद्दे जैसे बांग्लादेश सबसे विकट शरणार्थी संकट, म्यांमार के रखाइन प्रांत से रोहिंग्या समस्या तथा म्यांमार एवं थाईलैंड के मध्य सीमा विवाद जैसे मुदों पर तनाव उत्पन्न होना
  • बिम्सटेक में मुक्त व्यापार समझौते पर वर्ष 2004 में से अभीतक सम्पन्न नहीं हो पाना।
  • एक अन्य उप-क्षेत्रीय फोरम- बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (बीसीआईएम) के गठन (जिसमें चीन एक सक्रिय सदस्य है) ने बिम्सटेक की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।