13वें ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन

ब्रिक्स की 15वीं वर्षगांठ के अवसर पर इंट्रा-ब्रिक्स सहयोग को तीन स्तंभों- राजनीतिक और सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय, एवं सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान के तहत बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया गया। शांति, कानून के शासन, मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता और प्रतिनिधिक बहुध्रुवीय अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया

13वें ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन

  • प्रधानमंत्री ने 13वें ब्रिक्स वार्षिक शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की जो कि वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया था। इस वर्ष ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का विषय ‘ब्रिक्स15: निरंतरता, समेकन और आम सहमति हेतु ब्रिक्स के बीच सहयोग’ था।
  • अपनी अध्यक्षता में भारत ने चार प्राथमिक क्षेत्रों का खाका तैयार किया है। इन चार क्षेत्रों में बहुस्तरीय प्रणाली, आंतक विरोध, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये डिजिटल और प्रौद्योगिकीय उपायों को अपनाना तथा लोगों के बीच मेल-मिलाप बढ़ाना शामिल है। इन क्षेत्रों के अलावा, उपस्थित राजाध्यक्ष कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव तथा मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

भारत के लिए महत्व

ब्रिक्स, विश्व की 5 उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है, जो वैश्विक जनसंख्या का 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24%, वैश्विक व्यापार का 16% और विश्व की कुल भूमि के 29.3% क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।

  • संगठन ने ‘उत्तर-दक्षिण सहयोग’ (North-South Cooperation) के क्षेत्र में एक सेतु के रूप में काम करते हुए ‘बहुध्रुवीयता’ (Multipolarity) को बढ़ावा दिया है।
  • इसने जलवायु परिवर्तन और व्यापार जैसे वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृतश्रृंखला पर एक सामान्य दृष्टिकोण विकसित किया है।
  • ब्रिक्स अब विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक शक्तिशाली आवाज है। इस बैठक ने विकासशील देशों की चिंताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद की है।
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), ‘आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था’ (contingency reserve arrangement) और ‘ऊर्जा अनुसंधान सहयोग मंच’ (Energy Research Cooperation Plateform) ब्रिक्स के महत्वपूर्ण संस्थानों में से हैं। बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात और उरुग्वे के साथ एनडीबी की सदस्यता का विस्तार एक सकारात्मक कदम है।
  • समानता, न्याय और पारस्परिक सहायता की भावना से ब्रिक्स देशों ने ‘बहुपक्षीय सहयोग’ (Multilateral Cooperation) को अपनाया है।
  • बिक्स आर्थिक भागीदारी के तहत 2020-25 तक के लिए एक रणनीति पर हस्ताक्षर किया है जिसमें प्राथमिकता वाले तीन क्षेत्रों व्यापार; वित्त और निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा सतत विकास पर ध्यान केन्द्रित किया है।

चुनौती

  • अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और तालिबान के काबुल में सत्ता पर कब्जा करने के बाद, आतंकवाद का विषय प्रमुख चुनौती के रूप में उभरा है।
  • 28-29 जुलाई, 2021 को आयोजित ‘ब्रिक्स काउंटर-टेररिज्म वर्किंग ग्रुप’ (BRICS Counter-Terrorism Working Group) की छठी बैठक में एक ‘कार्य योजना’ (Action Plan) तैयार की गई थी, इसका उद्देश्य आतंकवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने, कट्टरता, वित्तपोषण, आतंकवाद, आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट का दुरुपयोग, सूचना साझा करना आदि जैसे क्षेत्रों में परिणाम-उन्मुख सहयोग करना था।
  • 2020 में लद्दाख में चीन की आक्रामकता के बाद से, भारत-चीन संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर रहे हैं, जिसके कारण अन्य मंचों पर भी ‘वार्तालाप तथा सहयोग’ (Dialogue and Cooperation) में कमी आई है।
  • ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका दोनों गंभीर घरेलू मुद्दों (राजनीतिक अस्थिरता) का सामना कर रहे हैं।

चीन और ब्रिक्सः चीन ब्रिक्स का एक मजबूत सदस्य है, परन्तु उसकी विस्तारवादी नीति और वर्तमान में भारत के साथ डोकलाम विवाद तथा लद्दाख में उसकी विस्तारवादी रवैये ने भारत और चीन के सम्बन्धों में तनाव को पैदा किया है जो इस समूह के भविष्य हेतु सही नहीं कहा जा सकता है।

  • इसी प्रकार भारत को क्वॉड का सदस्य बनना था। उसे चीन के विरोधी संगठन के रूप में प्रचारित होने से भारत और चीन के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका ने ब्रिक्स के समक्ष नई चुनौती को उत्पन्न किया है।
  • 2025 तक ‘ब्रिक्स आर्थिक भागीदारी’ (BRICS Economic Partnership) की रणनीति को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के पुनरुद्धार के लिए, सतत विकास में मदद करने और नकारात्मक कारकों, जैसे कि ‘एकतरफा और संरक्षणवादी उपायों’ (Unilateral and protective efforts) का विरोध के लिए तैयार किया जा रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations), जी-7, यूरोपीय संघ (EU) और जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने महामारी का सामूहिक रूप से जवाब देने में विफल रहने के कारण कठोर आलोचना का सामना किया है, ब्रिक्स नेताओं ने बहुपक्षीय दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। ब्रिक्स सदस्य देशों ने हमेशा इस दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया है कि वैश्विक मुद्दों के समाधान में सामूहिक रूप से सहयोग किया जाना चाहिए तथा संगठनों का उपयोग वैश्विक शासन में अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखने के लिए किया जाना चाहिए।

ब्रिक्स प्रमुख तथ्य

  • ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये प्रयोग होने वाला एक संक्षिप्त रूप है, जिसमें B-Brazil, R-Russia, I-India, C-China और S-South Africa से संबंधित है।
  • शुरुआती दौर में दक्षिण अफ्रीका इस समूह का हिस्सा नहीं था और यह केवल 4 देशों का समूह था जिसे ब्रिक (BRIC) कहा जाता था, उल्लेखनीय है कि पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2009 में रूस में आयोजित किया गया था।
  • दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक (BRIC) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया, जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने चीन में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और समूह ने संक्षिप्त रूप ब्रिक्स (BRICS) को अपनाया।
  • 'BRIC' शब्द की उत्पति का श्रेय 2001 में, अर्थशास्त्री और गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के तत्कालीन अध्यक्ष जिम ओ नील को दिया जाता है।