वर्तमान में भारत जल संकट का सामना कर रहा है, यदि उपचारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो वर्ष 2030 तक देश में पीने योग्य जल की कमी हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार नई राष्ट्रीय जल नीति (New Water Policy- NWP) के साथ ही जल से जुड़ी शासन की संरचना और नियामक ढाँचे में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है।
ज्ञातव्य है कि भारत की पहली जल नीति वर्ष 1987 में आई थी, जिसे वर्ष 2002 एवं 2012 में संशोधित किया गया था।
नई जल नीति की आवश्यकता
राष्ट्रीय जल नीति में अंतिम संशोधन आठ वर्ष पहले हो चुका है, इन आठ वर्षों के दौरान जल संसाधन से जुड़े कई सारे बदलाव देखे गए हैं, जिन्हें पहचानने के साथ जल के उपयोग की प्राथमिकता को परिभाषित करने की पुनः आवश्यकता है।