सुप्रीम कोर्ट ने RBI द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर लगाया प्रतिबंधा हटाया
4 मार्च, 2020 को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने RBI द्वारा जुलाई 2018 से बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में सेवाएं प्रदान करने या क्रिप्टोकरेंसी व्यापार से निपटने के संबंध में लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया।
जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए 2018 के परिपत्र/अधिसूचना को रद्द कर दिया। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IMAI) की याचिका पर यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया।
दरअसल इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने 2018 के RBI सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, जिसने बिटकॉइन सहित क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के लिए बैंकों व वित्तीय संस्थाओं को निर्देश जारी किए थे।
IAMAI के सदस्य एक-दूसरे के बीच क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज करते हैं। IAMAI ने अपनी दलीलों में दावा किया कि RBI के इस कदम ने आभासी मुद्राओं (VCs) के माध्यम से वैध व्यावसायिक गतिविधि पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।
विनियामक निकाय ने 6 अप्रैल, 2018 को एक परिपत्र निर्देश जारी किया था कि इसके द्वारा विनियमित सभी इकाइयां आभासी मुद्राओं ( वर्चुअल करेंसी) में सौदा नहीं करेंगी या किसी व्यक्ति या इकाई को इससे निपटने में सुविधा प्रदान करने के लिए सेवाएं प्रदान नहीं करेंगी। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान, IMAI ने तर्क दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रा नहीं है और RBI के पास कानून के अभाव में इस तरह के प्रतिबंध को लागू करने की शक्तियां नहीं हैं, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया गया है।
RBI ने हालांकि कहा था कि उसका प्रतिबंध सही है। 2013 से वो क्रिप्टोकरेंसी के उपयोगकर्ताओं को सावधान कर रहा है और इसे भुगतान का एक डिजिटल साधन नहीं मानता है। इस पर कड़ाई से रोक होनी चाहिए ताकि देश में भुगतान प्रणाली खतरे में न पड़े। अंत में, उसका कहना था कि RBI को क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के फैसले लेने का अधिकार है।