यह अधिनियम विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 को प्रतिस्थापित किया है और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर यूनाइटेड नेशनल कन्वेंशन ऑन द राइट आफ पर्सन्स विद डॉइसेबिलिटिज (UNCRPD) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएं
दिव्यांगता के प्रकार को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया है, जिसमें मानसिक बीमारी और एसिड अटैक के शिकार को शामिल किये गए हैं।
अधिनियम की सकारात्मक पक्ष
एसिड अटैक जैसी विकृति को पहचानना एक सही कदम है, क्योंकि वे अन्य दिव्यांग व्यक्तियों की तरह ही कलंक और अक्षमता झेलती हैं।
अधिनियम के नकारात्मक पक्ष
संरक्षक (Guardianship) से सम्बंधित प्रावधान अस्पष्ट है और कई मौजूदा विधानों के विपरीत है। इसलिए उचित सुधारात्मक उपाय किया जाना चाहिए।