आभासी मुद्राओं पर अंतर-मंत्रालयी समिति (सुभाष चंद्र गर्ग समिति), जिसे क्रिप्टो करेंसी और ब्लॉकचैन की वैधता को देखने के लिए स्थापित किया गया था, ने अपनी रिपोर्ट में एक मसौदा विधेयक ‘क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और अधिकारिक डिजिटल मुद्रा का नियमन विधेयक, 2019’ के साथ प्रस्तुत की है।
प्रमुख सिफारिशें
समिति ने भारत में डिस्ट्रीब्यूटेड-लेजर प्रौद्योगिकी (डीएलटी) के इस्तेमाल के लिए उसके सकारात्मक पक्षों को रेखांकित किया तथा विभिन्न सेवाओं जैसे ऋण-निर्गमन और ट्रैकिंग, संपार्श्विक प्रबंधन, धोखाधड़ी का पता लगाने तथा बीमा में दावों के प्रबंधन एवं प्रतिभूति बाजार में सामंजस्य प्रणालियों में इसके विभिन्न अनुप्रयोगों का सुझाव दिया।
‘क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध और अधिकारिक डिजिटल मुद्रा का नियमन विधेयक, 2019’ की मुख्य विशेषताएं-
मुद्रा प्रबंधन से संबंधित RBI के कार्य
मुद्रा के प्रचलन की प्रक्रिया
भारतीय रुपए के नोट चार प्रेस में छपते हैं। सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL) ने महाराष्ट्र के नासिक और मध्य प्रदेश के देवास में प्रेस स्थापित किया है। अन्य दो RBI के स्वामित्व में हैं, जो भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रा (बीआरबीएनएमएल), मैसूर, कर्नाटक और बंगाल के सालबोनी के सहायक के माध्यम से है। मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में चार सरकारी स्वामित्व वाली टकसालों पर सिक्के बनाए जाते हैं। RBI को चार करेंसी नोट प्रिंटिंग प्रेस से नए करेंसी नोट और और टकसालों से सिक्के मिलते हैं।
भारतीय रुपए के नोट और सिक्के का निर्माण
RBI अधिनियम केंद्रीय बैंक को 5,000 रुपये और 10,000 रुपये मूल्यवर्ग के नोट प्रकाशित करने की अनुमति देता है, लेकिन इससे अधिक की नहीं देता। उन नोटों को पेश करने से पहले सरकार को मंजूरी देनी होगी। 1938 में और 1954 में छपे उच्चतम मूल्यवर्ग के नोट 10,000 रुपये के थे। इन्हें 1946 में और फिर 1978 में प्रदर्शित किया गया।