अक्षय ऊर्जा अधिनियम, 2015 का मसौदा एमएनआरई द्वारा 14 जुलाई, 2015 को पेश किया गया था। यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित विधायी और आर्थिक ढांचे में सबसे व्यापक सुधार है। अब तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र विद्युत अधिनियम, 2003 द्वारा शासित था।
अधिनियम का मूल उद्देश्य नवीकरणीय संसाधनों के माध्यम से ऊर्जा की मात्रा में वृद्धि करना है। यह CO2 और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम कर, भारत सरकार के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
अपेक्षित लाभः अधिनियम नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास में सहायक है। यह नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन मूल्यांकन, तकनीकी और सुरक्षा मानक, निगरानी और सत्यापन, विनिर्माण और कौशल विकास एवं डेटा प्रबंधन जैसे विभिन्न खंडों पर केन्द्रित है।
चुनौतियां: भारत में बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा का विकास प्रमुख संरचनात्मक बाधाओं से ग्रस्त है। अक्षय परियोजनाओं में भारी धन निवेश की आवश्यकता होती है, जो अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं। यद्यपि नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन प्रयोज्यता के लिए कई नीतियां हैं; लेकिन कार्यान्वयन बहुत उत्पादक नहीं है और निगरानी भी बहुत खराब है।
सुधार हेतु सुझावः नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के उपयोग के मुद्दे को संवेदनशील बनाना समय की आवश्यकता है। इस क्षेत्र और सहायक सरकारी नीतियों में भारी निवेश होना चाहिए। इस क्षेत्र में इष्टतम उपयोग के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ ही समाज की समावेशी भागीदारी भी होनी चाहिए।