डाटा को 21वीं सदी का ‘नया ईंधन’ माना जाता है, जो अर्थव्यस्था को गतिशील करने में सहायक है। इसी को ध्यान में रखकर व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2018 लाया गया, ताकि व्यक्तियों के गोपनीयता एवं स्वायत्तता को बढ़ावा दिया जा सके और डिजिटल संचार, बुनियादी ढांचे तथा सेवाओं की सुरक्षा की जा सके। इससे डाटा संचालित नवाचार और उद्यमिता की पूरी क्षमता का दोहन कर, व्यापक डाटा सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने में सहायता होगी।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
विधेयक में कुछ प्रकार के व्यक्तिगत डाटा को संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसमें वित्तीय डाटा, बायोमैट्रिक डाटा, जाति-धर्म से सम्बंधित डाटा आदि शामिल है। सरकार क्षेत्रीय नियामक प्राधिकरण से परामर्श कर किसी अन्य श्रेणी के डाटा को भी संवेदनशील डाटा घोषित कर सकती है।
वर्तमान स्थिति वर्तमान में भारत में, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 43ए के तहत सूचना प्रौद्योगिकी (उचित सुरक्षा व्यवहार और प्रक्रिया और संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा या सूचना) नियम, 2011 द्वारा व्यक्तिगत डाटा या नागरिकों से सम्बंधित सूचना का उपयोग विनियमित है।
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विधेयक की आलोचना
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