नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम को जुलाई, 2019 में प्रख्यापित किया गया। यह भारत में मध्यस्थता के बेहतर प्रबंधन के लिए एक स्वायत्त और स्वतंत्र संस्थान स्थापित करता है।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एनडीआईएसी): अधिनियम मध्यस्थता (Arbitration), बीच-बचाव (Mediation) और सुलह कार्यवाहियों के संचालन के लिए एनडीआईएसी की स्थापना करता है। यह एनडीआईएसी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में घोषित करता है।
वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र (आईसीएडीआर): आईसीएडीआर एक पंजीकृत समाज है, जो वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देता है।
संरचनाः एनडीआईएसी में सात सदस्य शामिल होंगेः एक चेयरपर्सन (सर्वोच्च न्यायालय / उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश या कोई ऐसा प्रतिष्ठित व्यक्ति, जिसके पास मध्यस्थता करने या उसके प्रशासन से जुड़ी विशेष जानकारी और अनुभव हो), मध्यस्थता के ज्ञान वाले दो प्रतिष्ठित व्यक्ति, तीन पदेन सदस्य और मान्यता प्राप्त व्यापार एवं वाणिज्य निकाय से एक प्रतिनिधि।
उद्देश्य और कार्य
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महत्वः वर्ल्ड बैंक द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 रैंकिंग में दिवालियेपन को हल करने के मामले में 190 देशों के बीच भारत को 108वें स्थान पर रखा गया, लेकिन मार्च 2019 में नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश के पारित होने के बाद नवीनतम रैंकिंग (2019) में 52वें स्थान पर आ गया।