यह नीति ‘पारगमन उन्मुख विकास (Transit Oriented Development-TOD)’ को बढ़ावा देना चाहती है। नीति के द्वारा पारगमन गलियारों (जैसे मोनोरेल और बस रैपिड ट्रांजिट) को रिहायशी इलाकों के नजदीक विकसित किया जाना है। नीति की मूल विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
पारगमन गलियारों के साथ से ऊर्ध्वाधर निर्माण बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे ‘फ्रलोर एरिया रेशियो’ को अधिकतम जनसंख्या बसावट के अनुकूल रखा जा सके। इसके साथ ही, गैर-मोटर चालित परिवहन बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जा रहा है। पारगमन गलियारों के प्रभाव क्षेत्र में मल्टी-मोडल परिवहन सेवाओं के एकीकरण के माध्यम से प्रभावी संपर्क सुविधा उपलब्ध कराना।
इसे नई मेट्रो नीति और हरित शहरी गतिशीलता योजना (Green Urban Mobility Scheme) द्वारा लागू किया जा रहा है। चूंकि नई मेट्रो नीति और हरित शहरी गतिशीलता योजना के तहत ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) को अनिवार्य कर दिया गया है।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शहरों के मास्टर प्लान और विकास योजनाओं में TOD को शामिल करना आवश्यक है। इसके साथ ही, राजस्व स्रोत के दोहन के लिए पारगमन गलियारों के ‘प्रभाव क्षेत्रों’ की पहचान भी की जाती है।
वर्तमान में अहमदाबाद, दिल्ली, नया रायपुर, नागपुर और नवी मुंबई में TOD पर कार्य किया जा रहा है। जल्द ही इस मॉडल के और विस्तार की उम्मीद है।